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विकास के लिए जरुरी है कि पानी और मिट्टी को भविष्य के लिए बचाया जाए

भोपाल। विकास जितना जरुरी है, उससे भी ज्यादा जरुरी है कि पानी और मिट्टी को बचाया जाए। पानी को बचाने से ही जलस्तर में वृद्धि होगी।

जल एवं मृदा संरक्षण व प्रबंधन में संस्थाओं की भूमिका विषय पर आयोजित कार्यशाला में नवाजे गए मध्यप्रदेश में पानी बचाने वाले 

यह कहना है एनसीएचएसई के महानिदेशक डॉ. प्रदीप नंदी का, जोकि एप्को परिसर में जल एवं मृदा संरक्षण व प्रबंधन में संस्थाओं की भूमिका विषय पर कार्यशाला में नवाजे गए पानी बचाने वालों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व में उपलब्ध जल में 97% जल खारा, 2% बर्फीला तथा केवल 0.009% मीठा जल उपलब्ध है, जिसका दैनिक एवं कृषि में उपयोग करते है। इस कार्यशाला में प्रदेशभर के 70 किसान शामिल हुए, जिनमें से 15 किसानों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने पानी को बचाने के लिए सराहनीय कार्य किया है। कार्यशाला को डॉं विवेक दवे, संयुक्त आयुक्त, राजीव गांधी जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन मिशन, लोकेन्द्र ठक्कर, जनरल मैनेजर एप्को, विषय विशेषज्ञ गिरीराज शाह के साथ ही नागदा में ग्राम स्तरीय जल बजट बनाने और जलसंरक्षण के लिए काम करने वाले शैलेश मजुमदार ने संबोधित किया।                                                    
पुरातन तकनीक से किया जल संरक्षण
सीहोर, विदिशा, उज्जैन, छिंदवाड़ा के किसानों ने अपने-अपने गांवों में किए गए जलसंरक्षण के बारे में बताया। साथ इससे आए बदलाव को भी रेखांकित किया।
 इसमें
- मेढ़बंधान, खेत तालाब, स्टॉप डेम, अर्दन डमे का निर्माण।
- पानी के संरक्षण हेतु स्प्रिंकलर का उपयोग।
- जन समुदाय एवं पंचायत प्रतिनिधियों की समन्वय एवं भागीदारी।
- ग्राम विकास समिति द्वारा कोष का निर्माण।
- खेत, तालाब निर्माण से ग्राउंड वॉटर में बढ़ोतरी।


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