मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) में हुई भर्ती प्रक्रिया का विवाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है। मैनिट की ही फैकल्टी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है। अारोप हैं कि भर्ती के लिए जारी किए पहले विज्ञापन के बाद बार-बार नियम बदले गए ताकि कुछ खास लोगों का लाभ पहुंचाया जा सके।
मसलन, पहले मैनिट ने विज्ञापन जारी कर कहा है कि सिर्फ उन्हीं संस्थानों के लोगों की भर्ती की जाएगी जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेम वर्क (एनआईआरएफ) के टॉप 100 इंस्टीट्यूट से आता है। लेकिन, बाद में इसमें बदलाव कर दिया गया। लेकिन, इसकी जानकारी सार्वजनिक मैनिट के पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई। इसके कारण कुछ लोग ही इसमें शामिल हुए। बांकी लोग आवेदन ही नहीं कर सके।
इस तरह के अन्य बदलाव भी किए जाने का आरोप है। इन सभी बातों को लेकर हाईकोर्ट में वह सभी तथ्य रखे जा रहे हैं जिसमें गड़बड़ी होने की संभावना जताई जा रही है। मैनिट की फैकल्टी ने यह याचिका संयुक्त रूप से लगाई गई है। इसमें न सिर्फ मैनिट प्रबंधन और एमएचआरडी को पार्टी बनाया है। बल्कि उन फैकल्टी को भी इसमें (रिस्पांडेंट) पार्टी बनाया है जिनको इस भर्ती प्रक्रिया से लाभ मिला है।
मैनिट, एमएचआरडी समेत 18 लोगों को बनाया रिस्पांडेंट: याचिकाकर्ताओं ने बोर्ड आॅफ गवर्नर्स, मैनिट, एमएचआरडी, रजिस्ट्रार मैनिट, डीन फैकल्टी वेलफेयर, एडवाइजरी कमेटी फैकल्टी रिक्रूटमेंट, आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रजत सोनी, डॉ. सीमी अहमद, सिविल डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार, डॉ. कमल सिंह, डॉ. एचएल तिवारी, मैकेनिकल डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अतुल लंजेश्वर, डॉ. विलास वरुड़कर, डॉ. मनोज आर्य, डॉ. आरएस राणा, ह्यूमेनिटी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ. विनीता मोहिंद्रा, मैकेनिकल डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ.आरके मंडलोई, गणित और कंप्यूटर एप्लीकेशन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. सुजाॅय दास को रिस्पांडेंट बनाया है।