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लोकसभा चुनाव की घोषणा आज, ये पांच राज्‍य तय करेंगे दिल्‍ली का रास्‍ता

नई दिल्‍ली 
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में आज शाम चुनावी जंग का ऐलान हो जाएगा। इस चुनाव पर देश और पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। लोकसभा चुनाव 2019 न केवल देश की दिशा तय करेगा बल्कि भारतीय राजनीति का भविष्‍य भी तय करेगा। दिल्‍ली के रायसीना हिल्‍स का रास्‍ता देश के पांच बड़े राज्‍यों से होकर जाता है।

इस बार भी बीजेपी के 'मोदी लहर' के दावे और विपक्षी महागठबंधन की कशमकश के बीच ये राज्‍य दिल्‍ली का 'वारिस' चुनेंगे। आइए जानते हैं कि कौन हैं ये 5 बड़े राज्‍य और वहां क्‍या हैं राजनीतिक समीकरण.....

उत्‍तर प्रदेश (80 सीटें) 
देश की चुनावी सियासत में कहा जाता है कि जिसका उत्‍तर प्रदेश पर कब्‍जा उसका दिल्‍ली पर राज। इस कहावत में काफी हद तक सच्‍चाई भी है। इसकी बड़ी वजह यहां की 80 लोकसभा सीटें हैं। लोकसभा सीटों के लिहाज से उत्‍तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्‍य है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्‍तर प्रदेश केसरिया रंग में रंग गया था। मोदी लहर में एनडीए ने यूपी की 73 सीटों पर कब्‍जा किया था। 

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हालात काफी अलग होने जा रहे हैं। इस बार बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को संयुक्‍त विपक्षी उम्‍मीदवारों से जूझना पड़ सकता है। राज्‍य की कैराना, गोरखपुर और फूलपुर सीटों के उपचुनाव में जीत के बाद समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्‍ट्रीय लोकदल ने हाथ मिला लिया है। एसपी 37 सीट, बीएसपी 38 और आरएलडी 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एसपी ने अब तक 9 सीटों पर अपने उम्‍मीदवारों का ऐलान कर दिया है। 

एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा है कि इस महागठबंधन में कांग्रेस को भी जगह दी गई। दरअसल, अखिलेश का इशारा अमेठी और रायबरेली सीट की ओर था जहां विपक्षी महागठबंधन का कोई प्रत्‍याशी मैदान में नहीं उतरेगा। हालांकि कांग्रेस इन दोनों सीटों से खुश नहीं है और उसने 11 सीटों पर अपने प्रत्‍याशी घोषित कर दिए हैं। विपक्षी एकता के बीच बीजेपी के लिए इस बार सीटें निकालना काफी मुश्किल होने जा रहा है। बीजेपी अब मोदी लहर, राम मंदिर और पाकिस्‍तान के खिलाफ कार्रवाई को चुनावी मुद्दा बना सकती है। 

महाराष्‍ट्र (48 सीटें) 
लंबे समय तक चले विवाद के बाद 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और शिवसेना के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। बीजेपी 25 और शिवसेना 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सीट बंटवारे से यह साफ हो गया है कि शिवसेना को सूबे में पिछले चुनावों की तुलना में सीटें अधिक जरूर मिली हैं लेकिन जितनी उम्मीद वह कर रही थी, वह स्थिति नहीं बन पाई है। उधर, एनडीए में शामिल आरपीआई को एक भी सीट नहीं मिली है। इससे उसके नेता रामदास आठवले नाराज चल रहे हैं। चुनाव से ठीक पहले शिवसेना के साथ आ जाने के बाद बीजेपी ने राहत की सांस ली है। 

बात अगर विपक्ष की करें तो कांग्रेस और एनसीपी के बीच अभी सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। माना जा रहा है कि दोनों दलों के बीच 20-20 सीटों के लिए सहमति बन गई है लेकिन 8 सीटों पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने पिछले दिनों कहा था कि महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटों में से आठ को लेकर कांग्रेस के साथ बातचीत पूरी नहीं हुई है। 


इन सीटों में पुणे और अहमदनगर सीट भी शामिल है। बता दें कि कांग्रेस और एनसीपी ने आगामी लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी का सामना करने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि मोदी सरकार को घेरने की रणनीति के तहत कांग्रेस महाराष्‍ट्र में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को दो तो एसपी को एक लोकसभा सीट दे सकती है। बता दें कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा एनसीपी को 5 तथा कांग्रेस को दो मिली थीं। 

पश्चिम बंगाल (42) 
लोकसभा चुनाव में इस बार सबकी नजरें पश्चिम बंगाल पर टिकीं रहेंगी। बीजेपी जहां पश्चिम बंगाल से अधिक से अधिक सीटें जीतकर यूपी की भरपाई करना चाहती है वहीं राज्‍य में सत्‍तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ज्‍यादा से ज्‍यादा सीटें जीतकर पीएम पद के लिए अपना दावा पुख्‍ता करना चाहती हैं। माना जा रहा है कि दोनों ही दल राज्‍य में अकेले ही चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। 

उधर, पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे पर सीपीएम और कांग्रेस के बीच गतिरोध राहुल गांधी और सीताराम येचुरी के हस्तक्षेप के बाद लगभग सुलझ गया है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, सीपीएम द्वारा रायगंज और मुर्शिदाबाद लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा के बाद कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने दलील दी है कि एआईसीसी मामले पर गौर करेगी। कांग्रेस इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी। हालांकि सीटों का अभी औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को 34, बीजेपी 2, सीपीएम 2 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली थीं। 


बिहार (40 सीटें) 
बिहार में एनडीए के दलों के बीच सीटों के बंटवारे का फॉर्म्युला तय हो चुका है। बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर और एलजेपी 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस बंटवारे में सबसे ज्यादा फायदे में जो पार्टी रही है, वह है एलजेपी और सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को हुआ। जहां एलजेपी को 6 लोकसभा सीटों के साथ एक राज्यसभा सीट भी दी जाएगी, वहीं 2014 में 22 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी अब मात्र 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। 

उधर, बीजेपी को सत्‍ता से उखाड़ फेंकने के लिए आरजेडी का महागठबंधन बनने से पहले ही टूटने की कगार पर पहुंच गया है। बिहार में राज्य की 40 सीटों पर अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और दूसरे सहयोगियों ने कांग्रेस से 13 मार्च तक स्थिति साफ करने को कहा है, नहीं तो वे अपने स्तर पर कोई फैसला ले सकते हैं। 

40 सीटों पर आरजेडी, कांग्रेस के अलावा मुकेश सहनी, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन मांझी, शरद यादव की पार्टी भी गठबंधन में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी थीं। लेकिन इनके बीच सीटों के बंटवारे का मामला फंस गया। कांग्रेस कम से कम 12 सीटें मांग रही है जबकि आरजेडी ने कांग्रेस को अधिकतम 10 सीटें देने की बात कही है। साथ ही आरजेडी का कहना है कि कांग्रेस इन सीटों के बारे में बताए कि उनके उम्मीवार कैसे होंगे ताकि सभी 40 सीटों का संतुलन बनाया जा सके। वर्ष 2014 के चुनाव में बीजेपी, एलजेपी और आरएलएसपी के गठबंधन को 31 सीटें मिली थीं। इसके अलावा आरजेडी को 4, दो कांग्रेस, दो जेडीयू और एक सीट पर एनसीपी को जीत हासिल हुई थी।

तमिलनाडु (39 सीटें) 
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर तमिलनाडु में सत्‍तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एआईएडीएमके) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच गठबंधन को लेकर मुहर लग गई है। तमिलनाडु की 39 और पुडुचेरी की एक सीट को लेकर दोनों दलों में बंटवारा हो गया है। बीजेपी 15 जबकि एआईएडीएमके 25 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बीजेपी अपने हिस्से की सीटों में से 8 पर चुनाव लड़ेगी, जबकि 4 सीट पीएमके, 3 सीट डीएमडीके को देगी। वहीं दूसरी तरफ एआईएडीएमके अपनी 25 सीटों में से जी. के. वासन की टीएमसी, एन. रंगास्वामी की एनआरसी और के. कृष्णास्वामी की पीटी जैसी पार्टियों को भी शामिल करेगी। 

उधर, डीएमके और कांग्रेस एक साथ लोकसभा चुनाव में उतरने जा रहे हैं। दोनों के बीच सीट बंटवारे को लेकर सहमति बन गई है। डीएमके ने तमिलनाडु की नौ और पुडुचेरी की एक लोकसभा सीट कांग्रेस को दी है। तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीटें हैं। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 39 लोकसभा सीटों में से एआईएडीएमके को 37 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं विपक्षी दल डीएमके को एक भी सीट नहीं मिली थी। यही वजह है कि इस बार डीएमके लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी दल को घेरने के लिए कांग्रेस से गठबंधन करने जा रहा 
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