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खड़े रहकर छात्रा को पेपर देने को मजबूर करने वाले स्कूल पर होगी एफआईआर

भोपाल 
स्टूडेंट को खड़े होकर पेपर देने की सजा के मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने शनिवार को अपनी जांच पूरी कर ली है। इस मामले में उन्होंने स्कूल प्रबंधन को जेजे एक्ट का दोषी मानते हुए एफआईआर करने के निर्देश दिए हैं।  
शाहजहांनाबाद स्थित सरस्वती कोएड स्कूल के प्रिंसिपल अजय खाड़े के द्वारा स्टूडेंट को प्रताड़ित किए जाने के मामले की जांच पूरी हो गई है।
FIR must be lodged on school, forcing students to stand on paper
जांच में खुलासा हुआ है कि छात्रा को फीस को लेकर ही प्रताड़ित किया गया, जो कि जेजे एक्ट का उल्लंघन है। इस संबंध में डीईओ  ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी दी है। वहीं इस मामले में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। रविवार को इस मामले में संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। यह पहला मामला होगा जब किसी स्टूडेंट को प्रताड़ित किए जाने के मामले में स्कूल के खिलाफ जेजे एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। स्कूल की मान्यता भी सस्पेंड की जाएगी।
बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान के मुताबिक जेजे एक्ट की धारा 75 के तहत प्रकरण दर्ज होता है तो इसमें सजा और जुर्माने दोनों का प्रावधान है। इसके तहत पांच साल की सजा और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
निर्देश: अगले साल से सरकारी स्कूल में पढ़ेगी छात्रा, मिलेंगी सुविधाएं
अब सरस्वती कोएड स्कूल की परीक्षा में सरकारी स्कूल के शिक्षकों की लगेगी ड्यूटी : इस मामले की जांच रिपोर्ट सीएम कमलनाथ को भी भेजी गई। इसके बाद उन्होंने आदेशित किया है कि  सरस्वती कोएड स्कूल में सरकारी स्कूल की टीचर्स की ड्यूटी परीक्षा में लगाई जाए, ताकि संबंधित स्टूडेंट को दोबारा प्रताड़ित न किया जाए।
उन्होंने संबंधित स्टूडेंट को दसवीं से सरकारी स्कूल में पढ़ाने और उसे सभी सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने निर्देश दिए हैं। डीईओ धर्मेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि छात्रा को अब नवीन कन्या हायर सेकंडरी स्कूल में एडमिशन दिलाया जाएगा। जहां उसे सभी तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
छात्रा की मदद के लिए बढ़े हाथ : फीस न भर पाने की वजह से स्कूल प्रबंधन द्वारा प्रताड़ित करने का मामला सामने आने के बाद लायंस क्लब के सदस्य नरेंद्र जैन ने जिला शिक्षा अधिकारी को फोन किया। उनका कहना था कि छात्रा के पिता का नंबर उपलब्ध करा दिया जाए, ताकि वे स्टूडेंट की फीस भर सके। हालांकि इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी ने उन्हें धन्यवाद देते हुए फीस जमा कराने से मना कर दिया। उनका कहना था कि शासन स्टूडेंट की मदद कर रहा है।

बच्चों से नहीं मांग सकते है फीस : फीस को लेकर अब कोई भी स्कूल बच्चों को न तो प्रताड़ित कर सकता है और न ही उनसे राशि भुगतान के लिए कह सकता है। ऐसा करना जेजे एक्ट की धारा 75 का उल्लंघन है। स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव प्रमोद सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह एक वित्तीय मामला है जिसका समाधान पैरेंट्स और स्कूल प्रबंधन को मिलकर निकालना है। यदि कोई भी निजी स्कूल निर्देशों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
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