यह तस्वीर है हरदा जिले की ग्राम पंचायत मसनगांव में निर्माणाधीन सड़क की। यहां रोड की मजबूती के लिए पहली बार बांस की किमचियां (चिम्पी/खपची) लगाई जा रही हैं। वन विभाग छत्तीसगढ़ के रिटायर एसडीओ सरदार भायरी के आग्रह पर आईआईटी रूड़की की टीम की सलाह लेकर ग्राम पंचायत ने पकिया किस्म के बांस इस रोड निर्माण में लगवाई हैं जबकि कई इंजीनियर्स और एक्सपर्ट्स यह बात सुनकर दंग हैं।
स्थानीय इंजीनियरों ने कहा कि लोहा वजन सहन कर सकता है, बांस की किमचियां नहीं। यह दबाव में टूट जाएंगी और इसके साथ सीमेंट की पकड़ भी ढीली पड़ने लगेगी। दरारें भी आएंगी। इधर, एसडीओ ने दावा किया है कि जब किसी ने इसका प्रयोग ही नहीं किया है तो क्रेक आने जैसी बात किस आधार पर कह रहे हैं।
सरपंच का तर्क : रिटायर एसडीओ की सलाह पर रोड निर्माण में बांस लगाने का नवाचार किया है। इससे रोड और अधिक मजबूत होगा। पहले मकानों में भी बांस का उपयोग लोहे के सरियों की तरह होता आया है।
सरपंच का तर्क : रिटायर एसडीओ की सलाह पर रोड निर्माण में बांस लगाने का नवाचार किया है। इससे रोड और अधिक मजबूत होगा। पहले मकानों में भी बांस का उपयोग लोहे के सरियों की तरह होता आया है।
एक्सपर्ट कमेंट्स : पांच अलग-अलग जिलों के लोकनिर्माण शाखा के कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री स्तर के अधिकारियों ने कहा- ऐसा प्रयोग कभी नहीं देखा। सीमेंट सूखने के बाद दबाव में बांस की किम्चियां टूट जाएंगी।
पांच इंजीनियरों से ली राय, सभी असहमत : भास्कर ने सीमेंट के साथ बांस की किमचियों के इस्तेमाल पर हरदा, होशंगाबाद सहित पांच अलग-अलग जिलों के लोकनिर्माण शाखा के कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री स्तर के अधिकारियों से चर्चा की। सभी ने कहा- यह रुपयों की बर्बादी है। एक इंजीनियर के अनुसार इंडियन रोड कांग्रेस के मापदंडों में बांस के उपयोग का कहीं उल्लेख ही नहीं है।