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ऑल इज वेल', चलती ट्रेन में तीन युवकों ने कराई डिलिवरी

कोलकाता 
बॉलिवुड फिल्म थ्री इडियट्स का वह सीन आप सभी को याद होगा, जब तीन लोग गर्भवती महिला की डिलिवरी कराते हैं। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी से भी एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई। लेकिन यह किसी फिल्म की स्क्रिप्ट की शूटिंग नहीं बल्कि चलती ट्रेन में हुई वास्तविक घटना है। बहरहाल, आपको बता दें कि चर्चित गायिका सुचित्रा मित्रा का जन्म भी गुझंडी स्टेशन के नजदीक चलती ट्रेन में हुआ था, जिसकी वजह से उनका बचपन का नाम गोजू पड़ गया। 

जलपाईगुड़ी में रविवार को अगरतला-हबीबगंज एक्सप्रेस में कुछ ऐसी ही घटना तब देखने को मिली जब दर्द से कराह रही गर्भवती महिला की ओर लोगों का ध्यान गया। गर्भवती महिला की मदद के लिए मोहम्मद सोहराब, त्रिभुवन सिंह और सुबेदार गडवा आगे आए और इन तीनों ने मिलकर डिलिवरी कराई। गौरतलब है कि गर्भवती महिला को अचानक दर्द शुरू हो गया, जिसके बाद इन तीनों ने ट्रेन में डॉक्टर की खोजबीन शुरू की। तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें डॉक्टर नहीं मिला। इसके उपरांत तीनों ने महिला यात्रियों से कुछ कपड़े इकट्ठा किए और गर्भवती महिला द्वारा बच्चे को जन्म देने में उनकी मदद की। जन्म होने के बाद बच्चे के रोने की आवाज सुनकर कोच में बैठे यात्रियों ने राहत की सांस ली, अब उन्हें यह जानने की उत्सुकता थी कि आखिर क्या हुआ है। 

...और रेल गार्ड ने खींच दिए इमर्जेंसी ब्रेकबच्चे का जन्म होने के बाद अब गर्भनाल हटाई जानी थी लेकिन इसके बारे में किसी को कोई अनुभव न होने के चलते तीनों ने ट्रेन को चेन खींचकर रोकने की कोशिश की। वे ट्रेन को रोकने में कामयाब नहीं हुए तो सोहराब ने मदद के लिए फोन किया। उस दौरान पास में मौजूद रेल गार्ड शंकर प्रसाद नजदीक ही थे, उन्होंने गर्भवती महिला के लिए ट्रेन के इमर्जेंसी ब्रेक खींच दिए। 

शंकरप्रसाद बोले- मैंने देखा थ्री इडियट्स मेरे सामने ही हैं 
वह ट्रेन जिसे तकरीबन 150 किलोमीटर बाद जलपाईगुड़ी स्टेशन पर रुकना था, वह धुपगुड़ी स्टेशन में प्रवेश करने से पहले ही थम गई। मामले की जानकारी आरपीएफ इन्स्पेक्टर और स्टेशन मास्टर को पहले ही दी जा चुकी थी। उन्होंने, पास के ही क्षेत्र से एक स्थानीय डॉक्टर को मदद के लिए बुला लिया था। डॉक्टर गर्भवती महिला के पास पहुंचा और गर्भनाल अलग कर दी। इसके बाद मां और नवजात को प्राथमिक उपचार दिया गया। गर्भवती महिला की डिलिवरी और दोनों के इलाज के चक्कर में ट्रेन तकरीबन एक घंटा लेट हो गई। गार्ड शंकरप्रसाद कहते हैं, 'बच्चे के जन्म से हम कतई समझौता नहीं कर सकते। मैंने देखा कि तीन इडियट्स मेरे सामने हैं।' 

'महिला की जान बचाने के लिए किसी को कुछ करना जरूरी था'सोहराब कहते हैं, 'मैं नहीं जानता कि वह महिला कौन थी और न ही जानना चाहता हूं। वह बच्चे को जन्म देने की अवस्था में थी। उसकी हालत बिगड़ रही थी, जिसकी वजह से यह जरूरी था। वहां पर मौजूद किसी को भी कोई अनुभव नहीं था लेकिन उसकी जान बचाने के लिए किसी को कुछ करना था।' त्रिभुवन कहते हैं, 'हमने इंसान होने के नाते महिला की मदद की।' 
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