लोकसभा चुनाव आचार संहिता लगने से ठीक पहले प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने कम्प्यूटर बाबा (स्वामी नामदेव त्यागी) को मां नर्मदा, मां क्षिप्रा एवं मंदाकनी नदी न्यास का अध्यक्ष नियुक्त किया है। राज्य की पूर्व शिवराज सरकार के दौरान उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था। लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले वे कांग्रेस के समर्थन में उतर आए थे। उन्होंने लगातार पिछली सरकार पर नर्मदा में हुए उत्खनन पर को लेकर सवाल उठाए थे। बाबा का इंदौर के गोमट गिरी में आश्रम है।
प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार ने स्वामी नामदेव त्यागी को 3 अप्रैल 2018 को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। इसके बाद उन्होंने प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर गंभीर आरोप लगाते हुए 1 अक्टूबर 2018 को इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के लिए प्रचार भी किया। मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथग्रहण समारोह में वे मंच पर भी नजर आए थे।
पिछली सरकार में इस्तीफा देते वक्त यह कहा था कम्प्यूटर बाबा ने
- मैंने राज्यमंत्री के दर्जे से त्यागपत्र दे दिया, क्योंकि हजारों संतों ने मुझ पर त्यागपत्र देने का दबाव बनाया। मुख्यमंत्री ने मुझसे वादा किया था कि मध्यप्रदेश में अवैध रेत उत्खनन नहीं होगा, गाय की दुर्दशा नहीं होगी, मठ-मंदिरों के संत जो कहेंगे, वह करेंगे। लेकिन उन्होंने (चौहान) सब ढकोसलापन किया। मुझसे जो वादे किए थे, ठीक इसके विरूद्ध काम किया मुख्यमंत्री ने।
- संतों ने शिवराज से काम कराने का जिम्मा मुझे सौंपा था। शिवराज से काम नहीं करा पाने के लिए संतों ने मुझे 100 में से शून्य नंबर दिए हैं। मैं तो फेल ही हो गया न।