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मंत्रालय कर्मचारी संघ में सदस्यता को लेकर विवाद, चुनाव में पड़े 83% वोट

भोपाल
राज्य मंत्रालय में गुरुवार को कर्मचारी संघ चुनाव में 83 फीसदी वोटिंग हुई। एनेक्सी के ठीक सामने चार पहिया वाहन पार्किंग में सुबह 11 बजे से मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई, जो शाम 5.30 बजे तक चली। इसके बाद शाम 7 बजे से काउंटिंग की गई। इस दौरान सदस्यता को लेकर कई बार विवाद की स्थिति भी बनी। चुनाव में कुल 1671 वोट में से करीब 1392 कर्मचारियों ने वोट डाले। चुनाव अधिकारी गणेशराम बाथम ने बताया कि काउंटिंग में समय लगेगा। देर रात तक नतीजे सामने नहीं आए थे। दूसरे राउंड में सुधीर नायक को 235, सुभाष वर्मा को 157 और राजेंद्र पाराशर को 117 वोट मिले।
13 बाॅक्स में डाले वोट-चुनाव के लिए 8 मतदान केंद्र बनाए गए थे। इनके लिए 13 बॉक्स में वोट इकट्ठे किए। रात 8 बजे के बाद पहली पेटी खोली जा सकी। देर रात तक नतीजे सामने नहीं आए थे।
भोपाल मंत्रालय कर्मचारी संघ के चुनाव में सुबह से शाम तक करीब 83 फीसदी मतदान हुआ। शाम 7 बजे के बाद वोटों की गिनती शुरू हुई। रात 10.40 बजे सिर्फ दो पेटी के ही वोट गिने जा सके थे। मतदान के दौरान सदस्यता को लेकर कई बार विवाद हुआ। चुनाव में उतरी मंत्रालय पैनल और नेताजी सुभाषचंद्र बोस पैनल के उम्मीदवारों ने कार्यकारिणी पर काबिज मौजूद सरदार वल्लभ भाई पटेल पैनल पर चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए कहा कि सदस्यता में फर्जीवाड़ा किया गया है, जिन्हें सदस्य बनाना चाहिए था उन्हें नहीं बनाया गया। आरोप है कि मनमानी सदस्यता देकर चुनाव कराए गए हैं।
 
लंच टाइम में लगीं कतारें
लंच टाइम से पहले मतदान की रफ्तार बहुत धीमी थी। लंच टाइम में कर्मचारियों ने लाइन लगाकर वोट डाले।  एक व्यक्ति को इस दौरान वोट डालने के लिए  45 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। लंच टाइम में महिलाओं ने सबसे ज्यादा वोट डाले।शाम चार बजे  तीनों पैनलों के उम्मीदवार हाथों में तख्तियां लेकर प्रचार कर रहे थे और विभागों में जाकर वोट डालने का अनुरोध करते रहे।
सदस्यता देने में की गई मनमानी
मंत्रालय पैनल के राजेंद्र पाराशर ने आरोप लगाते हुए कहा कि सदस्यता को लेकर मनमानी की गई है। करीब 700 कर्मचारियों को सदस्य ही नहीं बनाया गया। नेताजी सुभाषचंद्र बोस पैनल के उम्मीदवार सुभाष वर्मा ने कहा कि संसदीय कार्य के कर्मचारियों को सदस्य ही नहीं बनाना था, लेकिन उन्हें भी सदस्यता दे दी गई। वहीं मंत्री स्थापना के कई कर्मचारियों को सदस्यता नहीं दी गई, जानबूझकर ऐसा किया गया। मौजूदा अध्यक्ष सुधीर नायक ने दोनों पैनलों के सदस्यता संबंधी आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि जब दावे-आपत्ति बुलाए गए थे, तब इन्होंने इस पर आपत्ति क्यों नहीं जताई।

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