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शहीद के परिवार को 7 महीने बाद मिला शहादत का सर्टिफिकेट

जयपुर 
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा हमले के बाद देश में बने माहौल के बीच शहीद होने वाले जवानों के सम्मान और अधिकारों की चर्चा तो खूब हुई लेकिन ऐसा भी एक परिवार है जिसे शहादत का महीनों बाद सर्टिफिकेट मिला है। जुलाई 2018 में श्रीनगर के बटमालू इलाके में सीआरपीएफ जवान शंकर लाल बड़ाला शहीद हो गए थे। उनके परिजन शहादत का सबूत लंबी भाग-दौड़ के बाद अब हासिल कर सके हैं। शनिवार को शहीद शंकर लाल के परिजनों को सर्टिफिकेट मिला।



काटते रहे दफ्तरों के चक्कर 
राजस्थान के तेजपुर गांव का यह परिवार पिछले सात महीने से सीआरपीएफ हेडक्वॉर्टर से लेकर मंत्रियों के चक्कर काटता रहा। यहां तक कि पुलवामा में शहीद हुए रोहताश लांबा की अंतिम यात्रा तक में सीआरपीएफ अधिकारियों और राज्य सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों से इस बारे में बात की गई। आखिरकार शनिवार सुबह उन्हें सर्टिफिकेट मिल गया। 

'क्यों लगे 7 महीने?' 
सीआरपीएफ की 23वीं बटैलियन के कॉन्स्टेबल शंकर लाल बड़ाला 24 जुलाई, 2018 को आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। उसके बाद से उनके भाई दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने बताया कि शहीद के परिवार को मिलने वाली मदद के लिए सर्टिफिकेट चाहिए होता है, यह उन्हें पता नहीं था। उन्होंने सवाल किया कि आखिर सर्टिफिकेट जारी करने में 7 महीने क्यों लग गए। बड़ाला के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा, बेटी और मां हैं। 

'कुछ नहीं मांगते सैनिक...' 
शहीद के भाई ने बताया कि गांववालों की मदद से उन्होंने अधिकारियों के सामने सर्टिफिकेट का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से अपील की है कि शहीदों के परिवारों को लाभ जल्दी मिल सके, इसके लिए रास्ते बनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि एक सैनिक सिर्फ देश की सेवा करता है, कभी आर्थिक सहायता नहीं मांगता। कम से कम उसके परिवार को मदद समय से पहुंचनी चाहिए। 

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