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पांच सिमी आतंकियों को आजीवन कारावास, सबूतों की कमी के चलते अबू फैसल समेत 5 बरी

भोपाल
राजधानी की एक विशेष अदालत ने डिटोनेटरों, डायनामाइट जिलेटिन रॉड, जिलेटिन के बॉक्स और भारी मात्रा में विस्फोटक रखने के मामले में प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के पांच आतंकियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है।
सिमी का कुख्यात आतंकी अबू फैसल।
वहीं, सबूतों की कमी के चलते पांच को बरी कर दिया। हालांकि अबू फैसल मंदसौर में पिपलिया मंडी लूट कांड और मणप्पुरम गोल्ड लूट कांड में भोपाल कोर्ट सिमी सरगना अबू फैसल को उम्रकैद की सजा सुना चुकी है।गुरुवार को विशेष न्यायाधीश गिरीश दीक्षित ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने जिन सिमी आतंकियों को सजा सुनाई है उनमें अब्दुल अजीज उर्फ अज्जू, जावेद, अब्दुल वाहिद, जुबेर और मोहम्मद आदिल शामिल है। वहीं, जिनको सबूतों की कमी के चलते बरी किया गया है उनमें कुख्यात सिमी आतंकी अबू फैजल खान उर्फ डॉक्टर, उमेर दंडोति, साजिद उर्फ गुड्‌डू, सादिक और इरफान नागौरी शामिल है। इस मामले के दो आरोपी खालिद अहमद और अब्दुल माजिद की पहले ही पुलिस मुठभेड़ में मौत हो चुकी है।
इस मामले में अबू फैसल बरी 
मामले के अनुसार, 24 दिसंबर 2013 को सुबह के समय पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में थाना सेंधवा ग्रामीण के एटीएस और एसटीएफ द्वारा दर्ज किए गए हत्या के प्रयास के साथ ही भादवि एवं 25 व 27 आयुध अधिनियम में अभियुक्त अबू फैजल, इरफान नागौरी, खालिद अहमद गिरफ्तार हुए थे। इनसे पूछताछ में पता चला कि सोलापुर महाराष्ट्र से दो अन्य सहयोगी अभियुक्त सादिक व उमेर गिरफ्तार हुए और उनसे विस्फोटक पदार्थ व बम बरामद हुए। आंतकियों ने बताया कि विस्फोटक सामग्री व हथियार महिदपुर व उज्जैन के सहयोगी अभियुक्त जावेद नागौरी, मो. आदिल, अजीज उर्फ अज्जू, अब्दुल वाहिद, गुडडू उर्फ साजिद ने मुहैया कराये थे। 27 दिसंबर 2013 को सूचना मिलने के बाद अजय कैथवास डीएसपी एटीएस यूनिट इंदौर महिदपुर टीम के साथ उज्जैन रवाना हुए और उज्जैन में अभियुक्त गुडडू उर्फ साजिद के स्थानों की निगरानी की लेकिन वह नहीं मिला। 
खण्डहर से छिपा रखी थी विस्फोटक सामग्री 
टीमों की निगरानी के दौरान अभियुक्त आदिल से पूछताछ की गयी जिसमें आदिल ने पूछताछ में बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री उसके व उसके साथियों के पास होना बताया। साथ ही दो नीलेरंग के बड़े ड्रम खण्डहर में सीढ़ी के नीचे रखकर आया है । जावेद मास्साब के चाचा का मकान जो किदवई रोड नागौरी मोहल्ला में है जिसे वह खण्डहर कहकर बुलाते हैं, वहां भी विस्फोटक सामान रखा है। आदिल के बताये स्थान पर टेक्निकल मूवमेंट के लिए टीम लीडरों के साथ गुगल मेप पर कथित स्थानों को चिन्हित किया गया।  
पुलिस को मिले थे सबूत 
31 दिसंबर 2013 व 1 जनवरी 2014 की मध्य रात्रि टीम ने खण्डहर व इलाके की निगरानी के जावेद नागौरी को पकड़ा गया और उसके पास डिटोनेटरों का गुच्छा मिला था। अजीज उर्फ अज्जू भी मौके से ही पकड़ा गया था उसके पास जिलेटिन छड़ से बना बम निकाला था। सिमी आंतकी अब्दुल वाहिद के पास से एक पाईपनुमा बम मिला था। पकड़े गये सभी आरोपी प्रतिबंधित संगठन सिमी से संपर्क होने की पुष्टि हुई थी।
क्या है सिमी 
स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (सिमी) भारत में प्रतिबंधित एक संगठन है। इसका गठन 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। भारत सरकार की मान्यता है कि सिमी आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। इसके चलते सिमी भारत में आतंकवादी गतिविधियों में अपनी भागीदारी के लिए 2002 में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। सिमी को अनलॉफुल ऐक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट 1967 (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया था। 

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