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सारणी से रेस्क्यू बाघ को कान्हा के बाड़े में रखा, 3 माह तक देंगे शिकार की ट्रेनिंग

सारनी
राखड़ डैम की लाल चौकी के पास पकड़ाए बाघ को गुरुवार देर रात कान्हा टाइगर रिजर्व मंडला पहुंचा दिया। यहां बाघ को शुक्रवार सुबह 8.30 बजे पहले से तैयार एक बाड़े में छोड़ा। जैसे ही बाघ को यहां छोड़ा, उसने जोर से दहाड़ मारी। टाइगर को तीन महीने की निगरानी में यही रखा जाएगा। 
Rescue tiger from the table kept in the Kanha enclosure, giving training for hunting for 3 months
सारनी के राखड़ डैम के आस-पास बाघ का मूवमेंट 23 फरवरी से ही था। बार-बार रिहायशी क्षेत्रों के पास आने पर बाघ का रेस्क्यू ऑपरेशन 7 मार्च को किया। छह घंटों में ही इसे ट्रैंक्विलाइज कर लिया था। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व होशंगाबाद, वन विभाग बैतूल और वाइल्ड लाइफ की टीम की निगरानी में इसे रेस्क्यू वाहन से पिंजरे में बंद कर मंडला तक पहुंचाया।
अगर रात में छोड़ा जाता तो एसटीआर पहुंचता 
  • बाघ को लेकर वाहन रात करीब 2 बजे कान्हा पहुंचा। सुबह इसे बाड़े में छोड़ा। यदि बाघ को सीधे जंगल में छोड़ा जाता तो इसका मूवमेंट एसटीआर की ओर होता। इसलिए तीन महीने ट्रेनिंग बतौर इसे बाड़े में ही रहना होगा। यहां वह शिकार करना भी सीखेगा। वन विभाग के एसडीओ सुदेश महिवाल ने बताया बाघ की रात तक निगरानी की गई। इसे सफलतापूर्वक बाड़े तक शिफ्ट कर दिया। एसटीआर की टीम इसे छोड़ने गई थी। 
पिछली बार बरेठा पहुंचने पर ही खराब हो गया था वाहन 
  • पिछली बार बाघ का रेस्क्यू ऑपरेशन 10 दिसंबर को किया था। रात को इसे भोपाल के वन विहार ले जाने का प्लान था। मगर, रास्ते में प्लान बदला और इसे कान्हा भेजा जा रहा था। वाहन शाहपुर से मुड़कर बरेठा तक आया और यह खराब हो गया। रात 3 बजे दूसरे वाहन में पिंजरा शिफ्ट कर इसे कान्हा भेजा गया था। इसलिए गुरुवार को इसकी रास्ते में पूरी निगरानी की जा रही थी।

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