भाजपा शासित नगर निगमों के महापौरों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर अनावश्यक परेशान करने का आरोप लगाते हुए राजधानी में एक दिन का धरना देने का भी निर्णय लिया है। मंगलवार को प्रदेश के 11 महापौरों ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर काम के दौरान आ रहीं परेशानियों ने उन्हें अवगत कराया।
मेयर काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष विवेक शेजवलकर ने उन्हें बताया कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से प्रदेश में 30 हजार करोड़ से अधिक के विकास कार्य बंद हो गए हैं। महापौरों को पद से हटाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा द्वेष भावना से कार्रवाई करते हुए अनियमितताओं के नोटिस दिए गए हैं। राजधानी में जुटे महापौरों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ एक दिन का धरना देने का भी निर्णय लिया है, लेकिन फिलहाल इसकी तारीख तय नहीं हो पाई है।
पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद सभी महापौर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह और संगठन महामंत्री सुहास भगत से मुलाकात करने भी पहुंचे। महापौर परिषद के प्रदेशाध्यक्ष और भोपाल के महापौर आलोक शर्मा ने आरोप लगाया कि नगर निगमों के नए कमिश्नर कांग्रेस के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं।
महापौर से ज्यादा तवज्जो नेता प्रतिपक्ष को दी जा रही है। शेजवलकर ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई के खिलाफ वे जनता के बीच जाएंगे। उनके अनुसार कांग्रेस सरकार ने स्मार्ट सिटी के तहत कराए जा रहे कार्यों पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार की ऐसी योजनाएं जिनमें प्रदेश सरकार का भी हिस्सा रहता है। उनमें प्रदेश सरकार अपने हिस्से की राशि नहीं दे रही है। इससे पूरे प्रदेश में विकास कार्य लगभग ठप हो गए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चल रहे कार्यों पर भी विराम लगता जा रहा है।