पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के जिस आतंकी कैंप को भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक के जरिए ध्वस्त किया, वहां आतंकियों के अभ्यास और उन्हें आत्मघाती हमलावर बनाने की ट्रेनिंग की अहम जानकारी सामने आई है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के पास इससे जुड़े कुछ कागजात हैं, जिसके अनुसार, बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप में काडर को 'मानव बम' बनने के लिए कठोर अनुशासन में रखा जाता था। इसके बाद उन्हें आत्मघाती हमलावर बनने के लिए 8 महीने से एक साल तक की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती थी।
कागजात के अनुसार, बालाकोट में चुने गए काडर को 15 दिन तक धार्मिक शिक्षा दी जाती थी। दूसरे लेवल का कोर्स एक हफ्ते दो हफ्ते तक चलता था, जिसमें काडर को आत्मघाती हमलावर बनने के लिए राजी किया जाता था। इसे बेसिक ट्रेनिंग भी कहा जाता है। उन्हें 15 दिन तक तीन किताबें भी पढ़ाई जाती थीं- तालीम-उल-इस्लाम, तालीम-उल-जेहाद और तारीख-ए- इस्लाम। इनमें से जिन काडर का बेसिक ट्रेनिंग में चुनाव होता है, उन्हें अगले लेवल के लिए भेजा जाता है जिसमें आत्मघाती हमलावर बनने की ट्रेनिंग दी जाती थी।
चार लेवल की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती थी
डॉक्युमेंट में लिखा है कि आत्मघाती हमलावर के लिए हथियारों की हैंडलिंग की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती थी। इसमें जंगल में रहने, घात लगाने, कम्यूनिकेशन, जीपीएस, मैप रीडिंग वगैरह की ट्रेनिंग शामिल होती है। उन्हें स्वीमिंग, तलवारबाजी और घुड़सवारी भी सिखाई जाती थी। यह ट्रेनिंग 40 दिन की होती है, जिसमें अडवांस हथियारों जैसे पिस्तौल, एके-47, एलएमलजी, रॉकेट लॉन्चर, यूबीजीएल और ग्रेनेड के साथ अभ्यास कराया जाता था।
चौथे लेवल में ट्रेनीज को उप समूहों में बांट दिया जाता था और हर एक सब ग्रुप को एक कम्यूनिकेशन सेट दिया जाता था, जिसकी फ्रिक्वेंसी वीएफआईएफ फॉर्मेट में होती है। इसके बाद सभी ग्रुप अलग-अलग दिशा में जाकर अपने-अपने सेट के माध्यम से एक-दूसरे से कम्यूनिकेट करते थे।
सुबह 3 बजे से शुरू होती थी दिनचर्या
ट्रेनिंग सेंटर में रोज का रूटीन सुबह 3 बजे से जगने के साथ शुरू होता था, इसके बाद 5 बजे नमाज अदा की जाती थी। फिजिकल ट्रेनिंग 6 से साढ़े 7 बजे तक फिजिकल ट्रेनिंग, सुबह साढ़े 8 बजे ब्रेकफास्ट के बाद 9 बजे से साढ़े 12 बजे तक हथियार और गोला-बारूद की क्लास चलती थी। इसके बाद डेढ़ बजे तक लंच और फिर 2 बजे नमाज अदा की जाती थी।
आर्म फायरिंग टेस्ट पास करने के बाद पूरी होती थी ट्रेनिंग
काडर दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक आराम करते थे जिसके बाद 5 बजे तक कुछ खेल वगैरह खेलते थे। शाम 5 बजे से 8 बजे तक प्रार्थना की जाती थी। रात साढ़े आठ बजे से साढ़े 9 बजे तक डिनर होता था। जीपीएस हैंडलिंग, मैप रीडिंग, आईईडी बनाने और इंटरनेट की अडवांस ट्रेनिंग पहले, दूसरे और तीसरे लेवल के चार महीने बीतने के बाद 10 से 15 चुने गए सदस्यों को दी जाती थी। एक काडर के आर्म फायरिंग टेस्ट में पास होने के बाद ट्रेनिंग पूरी होती थी।
सुबह 3 बजे से शुरू होती थी दिनचर्या
ट्रेनिंग सेंटर में रोज का रूटीन सुबह 3 बजे से जगने के साथ शुरू होता था, इसके बाद 5 बजे नमाज अदा की जाती थी। फिजिकल ट्रेनिंग 6 से साढ़े 7 बजे तक फिजिकल ट्रेनिंग, सुबह साढ़े 8 बजे ब्रेकफास्ट के बाद 9 बजे से साढ़े 12 बजे तक हथियार और गोला-बारूद की क्लास चलती थी। इसके बाद डेढ़ बजे तक लंच और फिर 2 बजे नमाज अदा की जाती थी।
आर्म फायरिंग टेस्ट पास करने के बाद पूरी होती थी ट्रेनिंग
काडर दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक आराम करते थे जिसके बाद 5 बजे तक कुछ खेल वगैरह खेलते थे। शाम 5 बजे से 8 बजे तक प्रार्थना की जाती थी। रात साढ़े आठ बजे से साढ़े 9 बजे तक डिनर होता था। जीपीएस हैंडलिंग, मैप रीडिंग, आईईडी बनाने और इंटरनेट की अडवांस ट्रेनिंग पहले, दूसरे और तीसरे लेवल के चार महीने बीतने के बाद 10 से 15 चुने गए सदस्यों को दी जाती थी। एक काडर के आर्म फायरिंग टेस्ट में पास होने के बाद ट्रेनिंग पूरी होती थी।