मुंबईधोखे से निकाले गए 400 करोड़ रुपये लौटाने में
असफल रहने पर फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड ने भारतीय बाजार नियामक से अपने
फाउंडर्स को गिरफ्तार करने की मांग की है। कंपनी ने इससे पहले सिक्यॉरिटीज
ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) से गुजारिश की थी कि वह कानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर मालविंदर और शिविंदर सिंह से रकम दिलवाए। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में फोर्टिस के प्रवक्ता अजेय महाराज के हवाले से यह बात कही गई है।
रेग्युलेटर ने अक्टूबर 2018 में सिंह बंधुओं को तीन महीने के भीतर ब्याज
सहित पूरी रकम चुकाने का आदेश दिया था। शिविंदर सिंह से टेक्स्ट मेसेज के
जरिए संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने त्वरित टिप्पणी से इनकार किया।
मलविंदर सिंह और सेबी प्रवक्ता एन हरिहरन से संपर्क नहीं हो सका है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस याचिका ने कभी अरबपति रहे भाइयों के लिए
कानूनी मुश्किलों में इजाफा कर दिया है। दोनों अपने कारोबारी साम्राज्य का
बड़ा हिस्सा कर्ज में डुबा चुके हैं और अभी भी देनदार उनका पीछा कर रहे
हैं। गिरवी के रूप में रखा फोर्टिस शेयर हिस्सेदारी का अधिकांश भाग
कर्जदाता जब्त कर चुके हैं। देश के दूसरे सबसे बड़े हॉस्पिटल चेन का
नियंत्रण अब IHH हेल्थकेयर बीएचडी के पास है। सिंह बंधु 500 मिलियन डॉलर के
एक अलग फ्रॉड केस में जापानी दवा कंपनी दायची सैंको कंपनी लिमिटेड द्वारा
कोर्ट के दायरे में लाए जा चुके हैं।
पारिवारिक झगड़े के बाद सिंह बंधुओं के सितारे गर्दिश में चले गए। पिछले दिनों मालविंदर सिंह
ने अपने भाई शिविंदर सिंह और उनके आध्यात्मिक गुरु के खिलाफ आपराधिक
शिकायत दर्ज कराई है। इससे पहले शिविंदर सिंह ने बड़े भाई के साथ खिलाफ केस
किया था। शिविंदर सिंह ने मालविंदर पर फैमिली बिजनस को 'नुकसान पहुंचाने
और मिसमैनेजमेंट' का आरोप लगाया था।
परिवार का यह झगड़ा रैनबैक्सी कंपनी को जापान की दाइची सांक्यो को बेचे
जाने के बाद से शुरू हुआ था। इस कंपनी को एक दशक पहले 4.6 अरब डॉलर में
बेचा गया था।