कश्मीर को जमीन और स्थायी निवास पर विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35 A को खत्म किए जाने की अटकलों के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर उब्दुल्ला ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है। उमर ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार ऐसा फैसला करती है तो घाटी में अरुणाचल प्रदेश से भी खराब हालात हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। बता दें कि 35 A का मामला अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर भी है। कोर्ट इसी हफ्ते इस पर सुनवाई करेगा।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'केंद्र सरकार और गवर्नर की जिम्मेदारी प्रदेश में चुनाव करवाने भर की है। इसलिए चुनाव ही कराएं, लोगों को फैसला लेने दें। नई सरकार खुद ही आर्टिकल 35A को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम करेगी।
मोदी को दी कश्मीर में समय पर चुनाव की चुनौती
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पांच साल के बाद चुनाव करवा पाना कश्मीर के हालात से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निबटने का परीक्षण होगा। अब्दुल्ला ने टि्वटर पर कहा, ‘क्या मोदी सरकार अलगावावादी ताकतों और आतंकियों के सामने घुटने टेकेगी जो जम्मू कश्मीर में हमेशा से ही चुनावों में बाधा और देरी पहुंचाते हैं या फिर चुनाव निर्धारित समय पर ही होंगे? यह समय प्रधानमंत्री मोदी के लिए बीते पांच वर्षों में कश्मीर को संभालने की परख का है।’ अब्दुल्ला ने उन मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिनमें कहा गया था कि भारत के निर्वाचन आयुक्त इस बात का फैसला करेंगे कि क्या राज्य में लोकसभा चुनावों के साथ राज्य के चुनावों भी कराया जाए। अब्दुल्ला ने कहा कि एक बार को छोड़कर राज्य में 1995-96 से चुनाव निर्धारित अवधि में होते रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में 35 A पर इसी हफ्ते सुनवाई
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इसी हफ्ते सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत ने 26-28 फरवरी के बीच मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार आम चुनाव से पहले आर्टिकल 35 ए पर कड़ा स्टैंड अपना सकती है। आर्टिकल 370 को हटाना बीजेपी का हमेशा से राजनीतिक स्टैंड भी रहा है। हालांकि बीजेपी की सहयोगी जेडीयू और अकाली दल इसकी विरोधी रही हैं।
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डेमोग्राफी के तर्क पर कुछ राजनीतिक दल करते हैं विरोध
बता दें कि कई राजनीतिक दल और संगठन डेमोग्राफी में बदलाव का हवाला देकर आर्टिकल 35A को खत्म करने के खिलाफ हैं। प्रदेश के पूर्व सीएम ने भी कहा कि केंद्र सरकार अगर ऐसा कोई कदम उठाती है तो यहां हालात बहुत खराब हो जाएंगे। उमर ने कहा, 'यह कोई धमकी नहीं हैं। मैं सिर्फ स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इसे धमकी न समझा जाए, यह चेतावनी है। आर्टिकल 35 A के साथ छेड़छाड़ किया गया तो यहां अरुणाचल प्रदेश से भी खराब हालात हो जाएंगे।'
क्या है आर्टिकल 35A
अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को राज्य के स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है। राज्य में 14 मई 1954 को इसे लागू किया गया था। यह अनुच्छेद संविधान में मूल रूप में नहीं था। प्रदेश के स्थायी नागरिक को कुछ विशेष अधिकार होते हैं। गौरतलब है कि धारा 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर में वहां के मूल निवासियों के अलावा देश के किसी दूसरे हिस्से का नागरिक कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता है। इससे वह वहां का नागरिक भी नहीं बन सकता है।