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ललितपुर-सिंगरौली रेल को लेकर मोर्चा ने लिखा सांसदों को पत्र

राम बिहारी पांडे, सीधी.

टोको-रोको-ठोको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने ललितपुर सिंगरौली रेल मार्ग में आने वाले संसदीय क्षेत्र झांसी, टीकमगढ़, खजुराहो, सतना, रीवा तथा सीधी के सांसदों को स्मरण पत्र लिखकर वर्षों से उपेक्षित इस रेल मार्ग को शीघ्र पूर्ण कराने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभू तथा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल को भी पत्र की प्रतिलिपि भेजी है। 

ललितपुर-सिंगरौली रेल को लेकर मोर्चा ने लिखा सांसदों को पत्र
टोको-रोको-ठोको क्रांतिकारी मोर्चा ने गिनाई अधूरी परियोजनाएं

पत्र में उल्लेख किया गया है कि ललितपुर से सिंगरौली को जोडन वाली महत्वकांक्षी रेल परियोजना गति नहीं पकड़ पायी है। जुलाई 2014 के रेल बजट में इस परियोजना को पर्याप्त बजट एवं अवरोधों को समाप्त कराने हेतु सीधी से रीवा तक सौ किलोमीटर की पद यात्रा मोर्चा द्वारा की गई थी तथा सांसदों एवं रेलमंत्री को पत्र भी लिखा गया था, लेकिन इस परियोजना को पूर्ण कराने में सरकार एवं जनप्रतिनिधि उदासीन रहे। विंध्य क्षेत्र के निवासी ललितपुर-सिंगरौली रेलमार्ग के निर्माण का सपना वर्षों से संजोए हैं। स्मरण पत्र में मांग की गई है कि ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना को शीघ्र पूर्ण करने हेतु फरवरी 2015-16 के रेल बजट में पर्याप्त धन राशि की व्यवस्था की जाय। पत्र में उल्लेख किया गया है कि ललितपुर-सिंगरौली रेल मार्ग को स्वीकृत हुये लगभग 30-35 वर्ष हो चुके हैं। 514 किमी दूरी के इस रेल मार्ग का कार्य अभी भी अधूरा है। परिणाम है कि वर्ष 1997-98 में 974 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना की लागत लेट लतीफी के कारण बढ़कर लगभग 2000 करोड़ के पास पहुंच चुकी है। पत्र में बताया गया है कि ललितपुर से खजुराहो के बीच आधा-अधूरा कार्य हुआ है। खजुराहो से पन्ना के मध्य तकरीबन 12 से 15 किमी के बीच पन्ना टाइगर रिजर्व सबसे बड़ी बाधा है। रीवा से सीधी के मध्य भू-अर्जन आधा-अधूरा किया गया है। सीधी से सिंगरौली के मध्य मात्र सर्वे का कार्य किया गया है।

बीते 35 साल से अधूरी हैं 350 से ज्यादा रेल परियोजनाएं
ललितपुर-सिंगरौली रेल मार्ग विंध्यक्षेत्र के झांसी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, सीधी एवं सिंगरौली जिले को आपस में जोड़ेगा। सन् 1956 में बनाये गये राज्य मप्र में विंध्यक्षेत्र को भी शामिल किये जाने का यहां के लोगों द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा था तब राज्य पुर्नगठन आयोग ने अपने प्रतिवेदन में विंध्यक्षेत्र की जनता को विशेष सुविधा देने के लिये इस क्षेत्र में रेलवे मार्ग के निर्माण को आवश्यक बताया था। प्रतिवेदन में टीकमगढ़ से सीधी को रेलवे लाइन से जोडनÞे की सिफारिश की गई है। इसमें प्रथम चरण के रूप में द्वितीय पंचवर्षीय योजना में सतना से रीवा होकर गोविन्दगढ़ तक के लिये रेलमार्ग के निर्माण का प्रस्ताव भी किया गया था, किन्तु उक्त प्रस्ताव कागज में ही लिखा रह गया। पत्र में रेल मंत्रालय द्वारा आगामी रेल बजट के लिए आम जनता से विभिन्न मुद्दों पर मांगे गये सुझाव के संबंध में लिखा गया है कि पहले से स्वीकृत लगभग 350 से ज्यादा रेल परियोजना जिन्हें अब तक पूरा नहीं किया जा सका है उन्हें शीघ्र पूरा किया जाए तथा कुछ परियोजनायें जो लगभग 30-35 वर्ष से पूर्णता की प्रतीक्षा में हैं जिनमें ललितपुर-सिंगरौली, रेल परियोजना भी है इसे पूर्ण करने हेतु 2015-16 के रेल बजट में पूर्ण राशि दी जाए। यह भी सुझाव दिया गया है कि बुलेट ट्रेन का संचालन कुछ समय के लिये स्थगित किया जाय क्योंकि इसमें खर्च बहुत है और महंगे किराये के कारण धनी लोग ही इसमें यात्रा कर सकेंगे। बुलेट ट्रेन अंग्रेजों द्वारा चलाई जाने वाली व्हाइट ट्रेन की याद ताजा करती है, जिसमें मात्र अंग्रेज ही यात्रा कर सकते थे।

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