भारत विश्व का सबसे सौभाग्यशाली देश है प्रकृति ने इसे अपनी पूरी उदारता और कलात्मकता से सजाया है। विश्व के सर्वाधिक युवा आज इस देश में है और वे मिलकर भारत को और अधिक समृद्ध और सुन्दर बना सकते है। यह विचार भारत सरकार के युवा मामलों के सचिव राजीव गुप्त ने व्यक्त किये। श्री गुप्त एस0एस0 काॅलेज, में एम0जे0पी0रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली के निर्देशन में एस0एस0 काॅलेज, आर्य महिला डिग्री कालेज, जी0एफ0 कालेज, शाहजहाँपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाईयों के कार्यक्रम अधिकारियों एवं स्वयं सेवकों के युवा समागम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना का मुख्य उद्देश्य निस्वार्थ सेवा के माध्यम से समुदाय का विकास करना है। विद्यार्थी जो कल देश के नागरिक है वे केवल पुस्तकीय ज्ञान ही प्राप्त न करें बल्कि समाज के प्रति अपने दायित्यों को भी पूरा करें तभी देश का विकास सम्भव है। वे अपने विद्यालयों में जिस ज्ञान की शक्ति, कौशल सामथ्र्य प्राप्त करते है उसे समाज के कल्याण लिए लगाना युवाओं के जीवन का लक्क्ष होना चाहिए। वे स्वयं भी सुन्दर बने और इस धरा को भी सुन्दर बनाये यही जीवन का आधार है।
इस अवसर पर उन्होंने 15 से 39 आयु वर्ग के युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में 100 पुरस्कार दिये जाने की योजना की। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष 12 जनवरी को युवा दिवस पर केन्द्र सरकार की ओर से प्रदान किये जायेगें।
इस अवसर पर उन्होंने 15 से 39 आयु वर्ग के युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में 100 पुरस्कार दिये जाने की योजना की। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष 12 जनवरी को युवा दिवस पर केन्द्र सरकार की ओर से प्रदान किये जायेगें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि यह देश युवा देश है हमारे लिए यह सौभाग्य और विकास का अवसर है। एक उदीयमान राष्ट्र के रूप में भारत अनन्त सम्भावनाएं विद्यमान है। जिस देश में इतनी तरूणायी हो उसे कुछ कर गुजरने से कोई रोक नहीं सकता। देश की सरकारी योजनाएं परिभाषाओं और कार्यक्रमों से निकलकर गाँव के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे यह काम युवाओं का है। देश को सामथ्र्यवान बनाने उसका उत्थान और सम्मान बढ़ाने की जिम्मेदारी युवाओं की है। अपनी संस्कृति और संस्कार के साथ युवाओं को सामथ्र्यवान और सृजनशील बनना होगा। युवाओं को अपनी उर्जा का रंचनात्मक उपयोग देश के निर्माण के लिए करना होगा। उन्होंने सचिव महोदय से आग्रह किया कि राष्ट्रीय सेवा योजना में छात्रों की सहभागिता एवं समाज में इस कार्यक्रम की स्वीकार्यता को देखते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना में अन्य कल्याणकारी योजनाओं का समावेश किया जाये जिससे समाज का बड़ा हिस्सा इससे लाभान्वित हो
विशिष्ट अतिथि अपर जिला अधिकारी प्रशासन एम0एन0 उपाध्याय ने कहा कि देश का विकास और उन्नयन करने की ताकत सदैव से युवाओं की रही है। इतिहासों का निर्माण युवाओं ने ही किया है। राष्ट्र प्रेम की भावना से भरा युवा हृदय जब देश के निर्माण की ठान लेता है तो देश का विकास और व्यवस्था का परिवर्तन कोई रोक नहीं सकता। आज देश के युवाओं में इसी देश प्रेम के जज्बे की आवश्यकता है।
उ0प्र0 और उतराखण्ड के राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय प्रभारी डाॅ0 अशोक श्रोती ने कहा कि गाँधी व विवेकानंद की सोच का समन्वय राष्ट्रीय सेवा योजना में है। युवाओं को सही दिशा, कौशल और योग्यता विकास करने का अवसर इसके कार्यक्रमों में मिलता है। युवाओं की प्रतिभा के विकास के साथ समाज सेवा के माध्यम से उनके व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास राष्ट्रीय सेवा योजना से होता है। युवाओं में सहजता, सामथ्र्य, शिक्षा और संस्कार प्रदान कर उनमें सकारात्मक परिवर्तन लाकर ही देश का विकास किया जा सकता है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली के राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम समन्वयक डाॅ0 मनवीर सिंह ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार प्रदान करना इस राष्ट्रीय अभियान का उद्देश्य है। युवाओं को उनकी सामाजिक भूमिकाओं के लिए तैयार करने का काम राष्ट्रीय सेवा योजना करती है।
इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत डाॅ0 रंजना प्रियदर्शिनी, डाॅ0 प्रशांत अग्निहोत्री, डाॅ0 शालीन कुमार सिंह, डाॅ0 राजबहादुर यादव, डाॅ0 आदित्य कुमार सिंह, डाॅ0 संतोष सक्सेना, डाॅ0 सुहेल अहमद, डाॅ0 आयशा जवी, डाॅ0 देवेन्द्र कुमार सिंह, डाॅ0 पूनम आदि ने किया। इस अवसर पर डाॅ0 कविता भटनागर, डाॅ0 प्रतिभा सक्सेना के निर्देशन में एन0एस0एस0 की छात्राओं ने स्वागतगीत लक्ष्यगीत और राष्ट्रगान प्रस्तुत किया।
समागम में प्रमुख रूप से युवा अधिकारी यमुना प्रसाद डाॅ0 के0के0 शुक्ला, नेहरू युवा केन्द्र के समन्वयक राजेन्द्र राजन, सजीव कुमार मिश्र, एम0के0 वर्मा, डाॅ0 प्रभात शुक्ल, दीपक दीक्षित, डाॅ0 दीपक सिंह, नम्रता गुप्ता, आदि उपस्थिति रहे।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 आलोक मिश्र ने आभार प्राचार्य डाॅ0 ए0के0 मिश्र ने व्यक्त किया।