रेलिक रिपोर्टर, रोहतक.
बस
में दो बहनों से कथित छेड़छाड़ व मारपीट मामले में एक और विवाद ने जन्म ले
लिया है। बुधवार को मामले में एक बार फिर लंबी बहस छिड़ गई है। इस बार बहस
दोनों पक्षों की पॉलीग्राफ टेस्ट और साइको एसेसमेंट रिपोर्ट को लेकर छिड़ी
है।
हालांकि
प्रशासन अथवा जांच अधिकारियों की ओर से रिपोर्ट को सार्वजनिक न किए जाने
की बात कही जा रही है, लेकिन दूसरी ओर आरोपी पक्ष की ओर से ऐसे दावे किए जा
रहे हैं कि युवकों को इन दोनों टेस्ट में क्लीन चिट दी गई है। आरोपी पक्ष
की ओर से लड़कियों की ओर से सच को छुपाने की बात कही जा रही है। दोनों बहनों
के वकील का कहना है कि यह दबाव बनाने का प्रयास भर है। यदि किसी के पास
रिपोर्ट है तो वह सामने लेकर आए।
बता
दें कि मामले में ढाई माह बीतने के बाद भी एसआईटी की ओर से चालान अदालत
में दाखिल नहीं किया गया। एसआईटी अभी तक रिपोर्ट नहीं मिलने की बात कह रही
थी तो आरटीआई में खुलासा हुआ कि सीबीआई की ओर से दोनों पक्षों के टेस्ट की
रिपोर्ट डेढ़ माह पहले ही पुलिस को दी जा चुकी है।
यह कहना है लड़कियों के वकील का
दोनों
बहनों के एडवोकेट अतर सिंह पंवार का कहना है कि उन्हें पॉलीग्राफ टेस्ट
रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही कुछ
कह सकते हैं। जिस तरह के रिपोर्ट में खुलासों का दावा किया जा रहा है वह
समझौता करने के लिए दबाव बनाने का प्रयास ही है। रिपोर्ट में साफ किया जाए
कि वे कौन से प्रश्न हैं, जिनमें सच छुपाने की बात की जा रही है। सीबीआई
लैब में हुए टेस्ट के तुरंत बाद ही उन्होंने व दोनों बहनों ने अपमानजनक
सवाल पूछने और औचित्यहीन सवाल पूछने पर एतराज जताया था। वारदात लड़कियों के
साथ हुई थी, इसलिए उनसे पूछकर ही मामले में प्रश्न तैयार किए जाने चाहिए
थे। उन्होंने पर्याप्त सबूत होने का दावा करते हुए कहा, इनसे लड़के दोषी
साबित होंगे और उन्हें सजा मिलेगी। कहा, टेस्ट रिपोर्ट का कोर्ट में भी कोई
महत्व नहीं है। इस टेस्ट की मांग दोनों बहनों की ओर से ही की गई थी।
रिपोर्ट सार्वजनिक करने की तेज होती मांग
आरोपी
युवकों के वकील एडवोकेट संदीप राठी का कहना है कि मामला काफी पेचीदा हो
रहा है। इसलिए पुलिस को पॉलीग्राफ और साइको टेस्ट रिपोर्ट सार्वजनिक कर
जल्द कोर्ट में दाखिल करनी चाहिए। यह भी स्थिति साफ करनी चाहिए कि रिपोर्ट
को लेकर किए जा रहे दावे गलत हैं। यदि रिपोर्ट में लड़कियों का पक्ष सही
साबित नहीं होता है तो मामला खारिज किया जाए। कहा, पॉलीग्राफ टेस्ट केवल
कोर्ट की अनुमति पर ही होता है। यदि इसका महत्व नहीं होता तो कोर्ट कभी भी
इसकी अनुमति नहीं देता।
जांच रिपोर्ट कोर्ट में ही पेश की जाएगी
रिपोर्ट
का अभी विश्लेषण किया जा रहा है। विश्लेषण पूरा न होने तक कुछ भी कहना गलत
होगा। जांच अंतिम चरण में है। रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाएगी। रिपोर्ट
किसके पक्ष में है और किसके खिलाफ है, इस बारे में कुछ जानकारी देना मुमकिन
नहीं है।
शशांक आनंद, एसपी, रोहतक