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अभी से सूखने लगी झाबुआ की जीवनदायिनी अनास नदी

निशा महेश राठौर, झाबुआ.
 
झाबुआ की जनता अब पानी को लेकर इतनी अधिक परेशान हो रही है कि आगामी मार्च-अप्रेल में जल संकट को देखते हुए अभी से हाथ पांव फूलने लगे है। यह तब होगा, जब झाबुआ शहर को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पेयजल समस्या निराकरण के लिए करीब 35 करोड की रकम जल प्रदाय योजना के लिये स्वीकृत की थी। मुख्यमंत्री ने नगर पालिका परिषद से अपेक्षा की थी कि, इस योजना का शीघ्रातिशीघ्र क्रियान्वयन करवाया जाए ताकि पानी की समस्या को लेकर जूझ रहे झाबुआ शहर को राहत मिल सके।


योजना का क्रि यान्वयन नही होने से पेयजल की होगी परेशानी 

प्रदेश सरकार ने 35 करोड की पेयजल प्रदाय योजना की स्वीकृति जनवरी-फ रवरी 2013 में ही दे दी थी और 3 करोड 22 लाख की पहली किश्त भी नपा को प्रदान कर दी थी। जयपुर की एक कंपनी ने इस जल प्रदाययोजना के लिये टेंडर भी डाल दिये थे, किंतु बजट से अधिक का टेंडर होने से यह योजना शुरू नही हो पाई। 35 करोड की यह योजना अब 40-42 करोड के आसपास पहुंच चुकी है। नगर की जल प्रदाय योजना करीब 42 साल पहले नगर की 5-6 हजार आबादी के मान से प्रारंभ हुई थी और आज नगर की जनंसख्या 50 हजार के आंकडे को छू रही है। किंतु आज भी उन्ही पुरानी डेमेज हो चुकी पाईप लाईन के माध्यम से शहर में पानी की आपूर्ति लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कर रहा है। अब तो हालात ये हो गये है कि 5-5 दिनों मे एक बार पानी आता है और बारह महीनों नगर को पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है। ज्ञातव्य है कि पीएचई का उपयंत्री स्तर का स्टाफ 25-25 साल से एक ही जगह जमे हुए है और जनहित में उनकी कोई रूचि दिखाई नही दे रही है। ठेकेदारों को भी समय पर भुगतान के अभाव में निर्माण कार्य भी ठप पडे हुए है। नगर में पीएचई ही जल प्रदाय का कार्य कर रही है और प्रति नल कनेक्शन 12 से 18 रुपये प्रतिमाह के मान से बिल दिया जाता है। नगरपालिका को 3 करोड 22 लाख की जो रकम मिल चुकी है वह भी नगरपालिका का सरकार की ओर से कर्ज है और इसे मय ब्याज के उसे चुकाना भी पडेगा। इसलिये यह तो तय है कि अब जनता को पानी के लिये अधिक दाम चुकाना ही पडेगें। लोगों का भी कहना है कि चाहे पानी के बिल में वृद्धि कर दी जावे किंतु इस योजना का लाभ जनता को मिलना तो शुरू हो। योजना को स्वीकृत हुए करीब ढाई साल होने को है किंतु नगरपालिका की ओर से केवल सब्ज बाग दिखाने के अलावा कुछ नही किया गया है। यदि इस योजना को तत्समय ही लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को सौप दिया जाता तो आज तक यह योजना पूर्णता के करीब होती। फि लहाल तो हालात यह है कि नगर में बारह मासी पेयजल संकट की स्थिति बनी रहती है और जैसे जैसे गर्मी दस्तक देती जायेगी, पानी का संकट भी गहराता जाएगा। नगर की नल जल योजना की पाईपे जो चार दशक से लगी हुई है वे भी यत्र तत्र सर्वत्र लिकेज होती रहती है। 
कई अनुभवी इ्रजीनियरों ने आशंका व्यक्त की है कि यदि मान भी लिया जावे कि करोडो खर्च करने के बाद योजना शुरू भी हो जाएगी तो यह योजना सफ ल भी हो पाएगी या नही इसे लेकर भी सवालिया निशान खडे हो रहे है। अनास में पानी कम हो जाने के चलते हाल ही में धमोई से पानी लेकर बैराज में संग्रहित किया गया है। फि ल्टर प्लांट की इन दिनों साफ सफई की जा रही है।

नए सिरे से किया जाएगा टेंडर

35 करोड की नलजल योजना की पहली किश्त 3 करोड 22 लाख स्वीकृत हो चुकी है। दो साल बीत जाने के बाद अब बजट बढाया जाएगा। करीब 40 करोड का बजट तैयार कर शीघ्र ही नये सिरे से टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
धनसिंह बारिया, अध्यक्ष, नगर पालिका, झाबुआ

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