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झीरी खोदकर प्यास बुझा रहे हैं झाबुआ के आदिवासी

रेलिक रिपोर्टर, झाबुआ.
 
झाबुआ विकासखंड की ग्राम पंचायत डूमपाड़ा के ग्राम डूमपाड़ा में जलिया फ लिये के रहवासी पिछले काफ ी समय से पानी की समस्या से त्रस्त है। इस फ लिये में पानी के लिए ना तो हैंडंपप है और ना ही कोई तालाब या कुआं। ग्रामीणों को झीरी खोदकर पानी भरना पड़ता है। आज जहां पानी की पूर्ति के लिए नई-नई तकनीके आ गई है, वहीं इस फ लिये के रहवासी पिछले काफी समय से झीरी खोदकर पानी भर रहे है। 


झीरी में से पानी भरती महिलाएं
झीरी में से पानी भरती महिलाएं
ग्राम डूमापाडा के रहवासियों का सड़क नहीं होने से आवागमन हुआ मुश्किल
 
वहीं फ लिये के रहवासी सड़क की समस्या से भी त्रस्त है। शासन-प्रशासन द्वारा गांवों को आदर्श ग्राम बनाने के प्रयास किए जा रहे है लेकिन डूमपाड़ा का जलिया फ लिया कुछ ओर ही दास्तां बयां कर रहा है। लगभग 500-600 की आबादी वाले इस फ लिये में विशेष रूप से महिलाओं को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। महिलाएं सिर एवं कमर पर घड़े रखकर निकलती है और खोदी गई झिरी पर एकत्रित होकर पानी भरती है। फ लिये में ना तो एक भी हैंडंपप है और ना ही तालाब। दूसरे फ लिये में तालाब है, जो इस फ लिये से लगभग एक से डेढ़ किमी दूर पड़ता है। दूर से पानी लाना ग्रामीणों के लिए संभव नहीं हो पाता है, क्योकि रास्ता भी कच्चा है। ऐसे में महिलाओं की खोदी गई झिरी पर भीड़ लग जाती है। महिलाएं एक-एक दो-दो घड़े लेकर पहुंचती है और खोदी गई झिरी से पानी भरने के बाद उसे छानकर घड़ो एवं अन्य बर्तन के पात्रों में भरकर ले जाती है। इस पानी से बीमारी फैलने का भी भय बना रहता है। इस फ लिये में आने-जाने का पूरा रास्ता भी कच्चा है। बीच में एक नाला पड़ता है, जहां से निकलने में रहवासियों को तो परेशानी आती है वहीं इससे बेहद मुश्किल का सामना दो पहिया वाहन चालकों को करना पड़ता है। फ लियेवासियों ने बताया कि यदि किसी के भी बीमार होने पर उसे एबंलेंस या अन्य तीन एवं चार पहिया वाहन से लाना-ले जाना हो तो वाहनों के लिए रास्ता ही नहीं है।

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