रेलिक रिपोर्टर, शाहजहांपुर.
तिलहर के गुलामखेड़ा गांव में मंगलवार दोपहर एक बंदर ने चार साल की बच्ची को छत से धक्का दे दिया। छत से मुंह के बल गिरी बच्ची लहूलुहान हो गई। उसे गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इससे एक माह पूर्व एक बंदर ने बच्ची की मां को काटकर घायल कर दिया था।
तिलहर थाना क्षेत्र का गुलामखेड़ा गांव बंदरों से त्रस्त है। यहां आबादी से ज्यादा संख्या बंदरों की है। गांव में तीन हजार से ज्यादा बंदर हैं। बंदरों के उत्पात ने लोगों का जीना हराम कर दिया है। लोगों का खाना बनाना और खाना दूभर हो गया है। हालात यह हैं कि पत्नी जब चूल्हे पर खाना बनाती है तो पति को पास में लाठी लेकर खड़ा होना पड़ता है और यही स्थिति खाना खाते समय होती है। गन्ने की फसल को बंदर बर्बाद कर देते हैं। पशुओं के चारे के लिए बोई गई बरसीम को भी बंदर खा जाते हैं।
आबादी से ज्यादा बंदरों की तादाद, खाना बनाना तक किया मुहाल
आए दिन गांववालों को काटते हैं और फसलों को कर रहे हैं बर्बाद
करीब एक माह पूर्व गांव के सत्यपाल की पत्नी शांती देवी को बंदर ने घर की छत पर काट लिया था। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। आज फिर बंदर का कहर सत्यपाल के घर पर टूटा। सत्यपाल की चार साल की बेटी क्रांति अपनी मां के साथ छत पर थी। तभी एक बंदर छत पर आया और उसने क्रांती को जोर से धक्का दे दिया। जिससे मासूम क्रांति मुंह के बल नीचे आ गिरी। बच्ची का चेहरा लहूलुहान हो गया। परिजन अचेत बच्ची को लेकर तुरंत जिला अस्पताल पहुंचे, जहां उसका उपचार चल रहा है। सत्यपाल ने बताया कि इससे एक साल पहले गांव के गया प्रसाद के 14 वर्षीय बेटे पवन को भी बंदरों ने छत से गिरा दिया था। जिसे ठीक होने में कई महीने लग गए थे। ऐसा ही एक गांव निगोही क्षेत्र में है। निगोही का रसूलापुर गांव बंदरों से पीड़ित है। इस गांव में भी आबादी से ज्यादा बंदर हैं। हालात यह है कि यहां फसलों को तो बंदर उजाड़ते ही हैं, लोगों का जीना भी दूभर कर रखा है। बच्चों का स्कूल जाना तक मुश्किल हो जाता है।
बंदर ने बच्ची को छत से फेंका, गंभीर रूप से घायल
जनवरी 06, 2015
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