रेलिक रिपोर्टर, शाहजहांपुर.
जिला
अस्पताल को सीएमएस डा. एनडी आरोरा से मुक्ति मिल गई। डा. अरोरा के रिटायर
होते ही जिला अस्पताल में लगे 50 से ज्यादा दलाल गायब हो गए हैं। वहीं
सीएमएस का अस्थाई चार्ज लेने वाले डा. एमपी गंगवार ने कहा कि उनके पास जब
तक सीएमएस का चार्ज रहेगा, अस्पताल में कोई भ्रष्टाचार नहीं चलने देंगे और न
ही यहां दलाल नजर आएंगे।
पदभार संभालते ही दिलाया भरोसा, बोले, जब तक हूं अस्पताल में भ्रष्टाचार नहीं चलेगा
पूर्व सीएमएस अरोरा के कार्यकाल में जिला
अस्पताल भ्रष्टाचार की सारी हदें लांघ गया था। हालात यह थे कि अस्पताल में
भर्ती मरीजों को हजारों रुपये की दवाएं मेडिकल स्टोरों से खरीदनी पड़ती थीं।
डाक्टर दवाओं पर मिलने वाले कमीशन के कारण अस्पताल की मुफ्त मिलने वाली
दवाएं मरीजों के लिए लिखते ही नहीं थे। सीएमएस अरोड़ा ने अस्पताल में 50 से
ज्यादा दलाल लगा रखे थे, जो दिन रात मरीजों का शोषण करते थे। रात में गलत
धंधों में लिप्त महिलाएं नर्स की ड्रेस पहन कर काम करने में जुट जाती थीं।
यही नहीं अस्पताल में डा. अरोड़ा ने निजी मशीनें लगाकर मरीजों से चार्ज लेना
शुरू कर दिया। जब उत्तराखंड में आपदा आई तो शोक मनाने के बजाय सीएमएस
अरोड़ा ने अस्पताल में जश्न मनाया था, जिसकी खबरें छपने व टीवी पर चलने के
बाद शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया, लेकिन हाईकोर्ट से स्टे लेकर
रिटायरमेंट तक डटे रहे। डा.अरोड़ा के सीएमएस रहते प्रशासन को मरीजों के
देखरेख की पूरी जिम्मेदारी हाथ में लेनी पड़ी और हर रोज एसडीएम को जांच के
निर्देश दिए गए।
31 दिसंबर को उनका रिटायरमेंट हो गया। इसके बाद अस्पताल
के रेडियोलाजिस्ट डा. एमपी गंगवार को कार्यवाहक सीएमएस का कार्यभार दे
दिया गया। डा. गंगवार ने बताया कि उनके चार्ज लेते ही सारे दलाल डर के कारण
खुद ब खुद अस्पताल छोड़कर चले गए। उन्होने बताया कि जब तक वह सीएमएस की
कुर्सी पर हैं तब तक जिला अस्पताल में मरीजों को कोई असुविधा नहीं होने दी
जाएगी और न ही मरीजों का शोषण होगा।
डा. एमपी गंगवार बने जिला अस्पताल के सीएमएस
जनवरी 02, 2015
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