रेलिक रिपोर्टर, झाबुआ.
भगवान
श्रीराम के जीवन से हम सभी को जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। प्रभू
श्रीराम ने इस धरती पर अवतार लेकर संसार के हम सभी प्राणियों को,
पृथ्वीवासियों को जीवन जीने की कला सिखाई। राम का जीवन मर्यादा से परिपूर्ण
था उन्होने स्वयं ही शब्द से नही वरन अपने आचरण में इन बातों को लाकर एक
आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया था। प्रारब्ध के बंधन से छूटकारा नही मिल पाता
है और उसे भोगना ही पडता है। जहां भगवान श्रीराम का सुबह राज तिलक होना था,
उन्ही राम को वनवास मे जाना पडा था। राम ने हमेशा ही अपने जीवन में समता
का वरण किया तथा दु:ख सुख में समानभाव से रहे तथा सभी परिस्थितियों में
आनंदपूर्वक रहकर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
उक्त उदबोधन गुरूवार को
दिगंबर जैन संत श्री आदित्य सागर ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते
हुए कहें। स्थानीय विवेकानंद कालोनी में आहारचर्या के लिये पधारे मुनिश्री
ने कहा कि भगवान महावीर ने भी कर्म सिद्धांत को बताते हुए कहा था कि मानव
अपने किये कर्मो का फ ल पाता है, चाहे वे कार्य अच्छे या बुरे किसी भी
प्रकार के हो सभी का उसी अनुरूप ही फल प्राप्त होता है। इस अवसर पर अश्विनी
सोनटके, संजय जैन, बाबुलाल अग्रवाल, चंद्रकांत शाह, बाला जैन, नूतन
सोनटके, सुषमा सोनटके, पदमा मिंडा, पुष्पा बहिन, इंदू, संध्या, संयुक्ता
शाह संध्या जैन, सुलोचना सोनटके आदि ने मंगलाचरण के साथ मुनिश्री का पूजनादि कर आहार करवाया।
श्रीराम का जीवन सभी के लिए प्रेरणादायी एवं अनुकरणीय
जनवरी 08, 2015
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