मध्यप्रदेश के पश्चिम भाग झाबुआ जिले की पेटलावद तेहसील के ग्राम तारखेडी में स्थित विश्वमंगल हनुमान मंदिर की स्थापना ब्रह्मलीन परम पुज्य गुरूदेव राम प्रपन्नजी महाराज की कठोरतम तपस्या से स्वप्न में दर्शन देकर भूमी से निकालकर 8 मई1957 ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को स्थापित कर श्रमोक 12 मई1957 ज्येष्ठ शुक्ल पुर्णिमा को प्राण प्रतिष्ठा कर विश्वमंगल हनुमान धाम की स्थापना की।
तारखेड़ी के विश्वमंगल हनुमान मंदिर में लगता है भक्तों का तांता
हर मंगलवार चोला चढ़ाने के लिए उमड़ती है मन्नतधारियों की भीड़
तब से आज तक निरंतर प्रति मंगलवार अभिषेक चोला पूजन यज्ञ संगीतमय सुन्दरकांड मंगल आरती होती है। मंगलवार का यह आयोजन अब दिन प्रतिदिन श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। आदिवासी अंचल में बसा विश्वमंगल हनुमान मन्दिर प्रति मंगलवार को हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। जो भी कोई भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता है, निराश नहीं लौटता है। हनुमानजी अद्वितीय शक्ति से भक्त की अर्जी स्वीकारते है। विश्वमंगल हनुमान मन्दिर में प्रति मंगलवार को गादिपति महंत श्री कालिचरण दास वैष्णव द्वारा भक्तों को 15 मिनट तक नम: शिवाय पंचाक्षरी मंत्र द्वारा ध्यान करवाया जाता है। ध्यान योग से दुखों कष्टों का निवारण होता है। प्रति मंगलवार को हजारों भक्त नम: शिवाय जाप का ध्यान कर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
तारखेडी हनुमान |
सेवा धाम पर प्रारंभ की गई सभी महिला पुरूष साधकों को सामुहिक रूप से बिठाकर मेरूदंड को सीधा रखते हुए सुखासन पर बैठकर स्वयं को सुख का चिंतन करवाते हुए पंचाक्षरी मंत्र नम: शिवाय का संगीतमय गान करते हुए ध्यान में बिठाया जाता है। इससे भक्तों के देहिक देविक भौतिक तापों का शमन होकर आनन्द की ओर बढ़ते हैं। ध्यान से मन में पवित्रता एकाग्रता का चिंतन होता है। प्रति मंगलवार मंदिर में पुजन पश्चात् पुज्य गुरूदेव द्वारा प्राण प्रतिष्ठित गदा को यज्ञ कुंड के समीप भक्तों को बिठाकर सर्वाग पर सर्वांग शरीर पर पांच बार घुमाया जाता है। जिससे यज्ञ में आव्हित देवता उनकी शारीरिक पीड़ा को दुर करने में अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। संगीतमय ध्यान योग में जनक रामायणी कैलाश पंवार बाबुलाल रामायणी निलांबर शर्मा गोविंद शिवदे का सहयोग सराहनीय है।