पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के एक साल पूरे होने से 10 दिन पहले दिल्ली पुलिस ने एक चौंकाने वाला खुलासा करके खलबली मचा दी है। पुलिस ने जहर देकर सुनंदा की हत्या किए जाने का केस दर्ज किया तो एक बार फिर कई सवाल उठे हैं।
जांच एजेंसियों हैरत में हैं कि, आखिर पोलोनियम आया कहां से
दुनिया की नामचीन हस्तियों की हत्याओं में इस्तेमाल किया गया
दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बीएस बस्सी ने सुनंदा हत्या के मामले में केस दर्ज किए जाने का खुलासा किया। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि इस हत्या में कौन शामिल है लेकिन इस खुलासे ने थरूर की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल, सुनंदा की मौत जहर देने के कारण हुई थी। पुलिस को सुनंदा के शरीर से इंजेक्शन के निशान भी मिले थे। सबसे बड़ी बात ये है कि जिस जहर का इस्तेमाल करके सुनंदा को मारा गया, वह आसानी से उपलब्ध नहीं होता। इसके लिए सरकारी मदद की जरूरत पड़ती है।
क्या पोलोनियम-210 की वजह से घिरेंगे थरूर?
दरअसल, पुलिस की ओर से किए गए खुलासे में बताया गया है कि सुनंदा की हत्या पोलोनियम 210 नाम के जहर से की गई है। इस जहर को बिना सरकारी मदद के हासिल करना संभव नहीं है।
पोलेनियम का इस्तेमाल इंडस्ट्रियल कार्यों में होता है और न्यूक्लियर रिएक्टर में यूरेनियम की प्रोसेसिंग करके इसे बनाया जाता है। यह एक रेडियोएक्टिव पॉइजन है। इसकी पहचान कर पाना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि रेडिएशन का असर पूरे शरीर में होता है। इसे पाउडर की तरह इस्तेमाल किया जाता है या फिर ड्रिंक में मिला कर। सुनंदा की मौत में पोलोनियम के इस्तेमाल की बात सामने आने के बाद शक की सुई थरूर की ओर घूम गई है। दरअसल, पोलोनियम के इस्तेमाल में सरकारी मदद मिलना इस बात की ओर इशारा करता है। हालांकि अभी इसकी जांच की जा रही है कि यह जहर हत्यारे तक कैसे पहुंचा। इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि हत्यारे ने विदेशों से इसे मंगाया होगा। इसके मद्देनजर पुलिस जांच में जुटी है।
यासर अराफात |
वर्ष 2004 में फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात की हत्या के मामले में भी पोलोनियम 210 के इस्तेमाल की बात सामने आई थी। सिवटजरलैंड के कुछ विशेषज्ञों ने दावा किया था कि इसी जहर के कारण अराफात की मौत हुई थी।
विशेषज्ञों की टीम ने जब अराफात के निजी सामानों जैसे टूथब्रश और अंडरवियर आदि की जांच की तो इनमें रेडियोएक्टिव पदार्थ पोलोनियम-210 के कण पाए गए थे। इसके बाद अराफात की पत्नी ने याचिका दायर करके उसकी मौत की जांच की मांग की थी, जिस पर 2012 में अराफात का शव दोबारा कब्र से बाहर निकाला गया था।
एलेक्जेंडर लित्विनेंको |
तीन हफ्तों से बीमार चल रहे एलेक्जेंडर लित्विनेंको की मौत पर अस्पताल के चिकित्सक भी हैरान थे और यह पता लगा पाना कठिन हो गया था कि वह किस रोग से पीड़ित हैं।