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केन - बेतवा लिंक परियोजना का हुआ पुरजोर विरोध

अरुण सिंह, पन्ना.
 
केन - बेतवा लिंक परियोजना की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए पन्ना जिले के हिनौता गांव में आयोजित जनसुनवाई में केन्द्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का ग्रामीणों, किसानों से लेकर हर वर्ग के लोगों ने पुरजोर विरोध किया। प्रस्तावित दौधन बांध के डूब क्षेत्र में होने वाले पर्यावरणीय प्रभाव के मूल्यांकन रिपोर्ट पर भी सवाल उठे। लोगों ने कहा कि पन्ना जिले के विकास की संभावनाओं को खत्म कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली परियोजनाओं को हम स्वीकार नहीं करेंगे। 


जनसुनवाई में परियोजना का विरोध करते बच्चे
जनसुनवाई में परियोजना का विरोध करते बच्चे
जनसुनवाई में पर्यावरणीय प्रभाव के मूल्यांकन पर भी उठे सवाल 

बांध बना तो खत्म हो जाएगा पन्ना टाइगर रिजर्व सहित जंगल


 उल्लेखनीय है कि लगभग 17 हजार करोड रूपए की लागत वाली केन - बेतवा लिंक परियोजना के अन्तर्गत छतरपुर जिले के दौधन गांव के पास केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा व लगभग दो किमी लम्बा बांध बनाना प्रस्तावित है। यह बांध पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में निर्मित होगा, जिसके चलते 58 वर्ग किमी वन क्षेत्र डूब से नष्ट हो जाएगा। इसके अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व का 105 वर्ग किमी का किशनगढ़, पलकोहा एवं भुसौर क्षेत्र अलग - थलग हो जायेगा। बांध से प्रभावित होने वाला यह पूरा वन क्षेत्र बाघों का सर्वश्रेष्ठ रहवास है। ऐसी स्थिति में परियोजना के मूर्त रूप लेने पर पन्ना टाइगर रिजर्व का अस्तित्व न के बराबर रह जाएगा। बाघ का आवास नष्ट होने के साथ - साथ केन नदी की घाटी में विलुप्त प्राय लांग विल्ड वल्चर, इिजिप्शियन वल्चर एवं व्हाइट बैक्ड वल्चर का सर्वश्रेष्ठ आवास डूब में आने के कारण नष्ट हो जायेगा। बांध के बनने से पन्ना जिले में पर्यटन विकास की संभावनाओं पर भी प्रतिकूल असर पडेगा। 

जनसुनवाई में उपस्थित अधिकारी
जनसुनवाई में उपस्थित अधिकारी
इलाके के लोगों का सवाल, क्या फायदा होगा पन्ना को
जनसुनवाई में शामिल हुए लोगों का अधिकारियों से एक ही सवाल था कि इस परियोजना से पन्ना जिले को क्या लाभ होगा? अतीत में भी पन्ना जिले के साथ हमेशा छलावा हुआ है, इस जिले के हिस्से में सिर्फ कुर्बानी आई है। आखिर यह जिला कब तक कुर्बानी देता रहेगा? अधिवक्ता राजेश तिवारी ने कहा कि पन्ना जिले की 22 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होने की बात गलत है। हमारे यहां पूर्व से ही अनेको बांध प्रस्तावित है जिनसे जिले की कृषि भूमि सिंचित होगी। अजयगढ़ क्षेत्र की भूमि बरियारपुर डेम से सिंचित हो रही है। आपने कहा कि इस परियोजना के जरिये एक बार फिर पन्ना को ठगा जा रहा है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती दिव्यारानी सिंह ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र के लोगों को जनसुनवाई में नहीं बुलाया गया, इसलिए यह जनसुनवाई औचित्यहीन है। भाजपा जिलाध्यक्ष सतानंद गौतम ने कहा कि हमारी हत्या करके तथा हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद करके कोई परियोजना बने, हम उसका विरोध करेंगे। जन सुनवाई के दौरान कई मर्तबे हंगामा की भी स्थिति बनी, फलस्वरूप अनेको महत्वपूर्ण लोग यहां पर अपनी बात नहीं रख सके। जनसुनवाई में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केन्द्रीय जल विकास प्राधिकरण के अधिकारी, एडीएम पन्ना अनिल खरे तथा पन्ना टाइगर रिजर्व के उप संचालक अनुपम सहाय सहित ग्रामीण जन व जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। 


जनता के कुछ अहम सवाल

0 केन - बेतवा लिंक परियोजना की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आयोजित जन सुनवाई की जानकारी प्रभावित क्षेत्र के लोगों को नहीं दी गई, न ही स्थानीय समाचार पत्रों में इसकी पूर्व में कोई सूचना प्रकाशित हुई।
0 पन्ना जिले में अपर केन परियोजनायें जो पूर्व से स्वीकृत हैं, उनका क्या होगा ? यदि वे बनी तो क्या दौधन बांध को भरने के लिए केन में पानी बचेगा ?
0 परियोजना से संबंधित पर्यावरणीय प्रभाव की मूल्यांकन रिपोर्ट त्रुटि पूर्ण और हास्यास्पद है। रिपोर्ट में कुछ वन्य प्रांणियों का जिक्र किया गया है जो यहां पाये ही नहीं जाते।
0 रिपोर्ट में यह भी उल्लेखित किया गया है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में साल का जंगल है जबकि इस पूरे इलाके में साल का एक भी पेड़ नहीं है।
0 पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 5 बताई गई है जबकि मौजूदा समय यहां 22 बाघ हैं। इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

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