संविधान द्वारा मानव के अधिकारों की सुरक्षा हेतु गारंटी दी गई है। मानव के जीवन में स्वतंत्रता,समानता और गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के द्वारा कानून बनाए गए है और इस हेतु राष्टÑीय तथा राज्य आयोग का गठन किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने में यदि कोई उसके अधिकार में हस्तक्षेप करता है तो वह विभिन्न प्रावधानों के अनुसार मानवाधिकार आयोग में आवेदन कर सकता है। इसमें विशेष न्यायालय सत्र की स्थापना की गई है।
शिविर को संबोधित करते एसडीएम डीके सिंह |
जोशी ने दिया व्याख्यान
यह जानकारी न्यायालय परिसर में मानवाधिकार दिवस पर आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश कमल जोशी ने देते हुए बताया कि संयुक्त राष्टÑसंघ ने मानव अधिकारों को लेकर सजगता से दुनिया में जागरूकता आई है। उन्होने आगामी 13 दिसम्बर को होने वाली नेशनल लोक अदालत में आपसी सुलह से विवादों को निपटाराकर शांति स्थापित करने हेतु उपस्थित पक्षकार अधिवक्ताओं से आव्हान किया।
शिविर में एसडीएम डीके सिंह ने मानव अधिकारों के हनन पर कहां कार्रवाई की जा सकती है उसके बारे में विस्तार से प्रकाश डालते हुए कानूनी प्रावधान बताए। न्यायाधीश सपना पोर्ते एवं न्यायाधीश चन्द्रसेन मूवेल ने भी मानव अधिकारों के बारे में प्रकाश डाला तथा मेगा लोक अदालत के बारे में लोगों को जागृत किया कि वे 13 दिसम्बर को आयोजित लोक अदालत में अधिक संख्या में लोगे के प्रकरणो ंमें राजीनाम कराने के लिए प्रयास करने का आव्हान किया।
अंत में न्यायालय परिसर में स्वच्छता अभियान के अंतर्गत सफाई का संदेश देते हुए न्यायाधीश एवं अधिवक्ताओं ने परिसर में झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संदेश दिया।