मेहनत और ईमानदारी से किये गये प्रयास कभी विफल नहीं होते। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघ पुर्नस्थापना योजना ने यह साबित कर दिया है। वर्ष 2009 में यह टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो चुका था, लेकिन पांच साल में ही यह बाघों की नर्सरी के रूप में विकसित हो गया है। यहां जन्में बाघ समूचे बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जंगलों में न सिर्फ विचरण कर रहे हैं, अपितु विकसित और सामर्थवान बनकर पुन: पन्ना टाइगर रिजर्व में वापस भी लौट रहे हैं। जन समर्थन से बाघ संरक्षण का जीवंत उदाहरण अब यहां देखने को मिल रहा है।
![]() |
पन्ना टाइगर रिजर्व लौटने वाला बाघ पन्ना-123 |
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2014 में पन्ना टाइगर रिजर्व के 6 अर्ध वयस्क नर बाघ अलग - अलग दिशाओं में रिजर्व क्षेत्र से बाहर निकल गये थे। इनमें से एक नर बाघ पन्ना - 121 के संग्रामपुर अभ्यारण्य में रहने की पुष्टि हुई है। जबकि दूसरा नर बाघ पन्ना - 123 बाहरी इलाकों में पूरे 10 माह तक विचरण करने के उपरान्त अपने आप पन्ना टाइगर रिजर्व में वापस लौट आया है। वापस लौटे इस नये बाघ ने चन्द्रनगर वन परिक्षेत्र को अपना ठिकाना बनाया है। इस इलाके में बाघिन टी - 2 की दूसरी संतान मादा बाघ पन्ना - 222 अपनी टेरीटोरी बनाकर एकाकी जीवन बिता रही थी।
![]() |
टाइगर रिजर्व के चन्द्रनगर रेन्ज में बाघिन पन्ना-222 के पास पन्ना-123 |
![]() |
आर. श्रीनिवास मूर्ति |
श्री मूर्ति ने बताया कि बाघिन टी - 1 के साथ पूर्व में एक शावक देखा गया था, लेकिन अब उसके साथ दो शावक दिखने लगे हैं। इस प्रकार आज की स्थिति में पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 23 हो गई है।