रेलिक रिपोर्टर, शाहजहांपुर.
आज
के वैश्वीकरण के दौर में जब दुनिया बहुत करीब आयी है। जब कहीं एक जगह होने
वाले परिवर्तन सारे संसार को प्रभावित करते हैं तब इस बदले हुए माहौल में
भारतीय शिक्षा के पुर्नमूल्यांकन की गहरी आवश्यकता है ताकि वह दुनिया में
होने वाले परिवर्तनों के साथ कदम मिला कर चल सके। यह विचार बरेली मुरादाबाद
स्रातक क्षेत्र के विधानपरिषद सदस्य डॉ. जयपाल व्यस्त ने व्यक्त किए।
अपने सम्मान समारोह में बोले डा. व्यस्त, बदले हुए माहौल में भारतीय शिक्षा के पुर्नमूल्यांकन की गहरी आवश्यकता
शिक्षा की व्यवस्था में एक स्पष्ट खाई आज हमें दिखाई देती है: स्वामी चिन्मयानन्द
डॉ.
व्यस्त एस.एस. कालेज में आयोजित अपने सम्मान समारोह में जनपद भर के उपस्थित
शिक्षकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि हमारी पूरी शिक्षा
का तन्त्र पूरी तरह से घुना हुआ है। इस पर नये सिरे से पुर्नविचार और इसके
पुर्ननिर्माण की आवश्यकता है। 1964 में बने कोठारी आयोग के बाद से आज तक
शिक्षा नीति के सम्बन्ध में सरकारों ने गम्भीरता से विचार नहीं किया है।
पूर्व
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती ने कहा कि शिक्षा
की व्यवस्था में एक स्पष्ट खाई आज हमें दिखाई देती है। एक तरफ शिक्षा के वे
भव्य प्रासाद हैं जिनकी चमक दमक के आगे गरीबों के स्कूल कहे जाने वाले
सरकारी स्कूलों की रौनक बेरौनक हो जाती है। सबसे ज्यादा सुविधायें तो
सरकारी स्कूलों के पास ही होनी चाहिए, क्योंकि इनमें वे बच्चे पढ़ने आते हैं
जिनके पास घर पर भी संसाधनों का अभाव होता है। महाविद्यालय के प्राचार्य
डॉ. अवनीश मिश्र और दैवी सम्पद इण्टर कालेज के प्रबन्धक सन्तोष कुमार
पाण्डेय ने भी संबोधित किया।
अतिथियों के स्वागत में डॉ. प्रतिभा
सक्सेना के निर्देशन में संगीत विभाग की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत
किया। सन्तोष पाण्डेय, गौरव पाण्डेय, अनिल मालवीय ने मुख्य अतिथि को स्मृति
चिन्ह प्रदान किया। संचालन मेजर अनिल मालवीय ने और आभार डॉ. प्रभात शुक्ल
ने किया।
बदले माहौल में शिक्षा के मूल्यांकन की जरुरत
दिसंबर 19, 2014
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