रेलिक रिपोर्टर, सीधी.
जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत पडरा में विकास कोसों दूर है। ऐसी स्थिति में आने वाले पंचायती चुनाव में ऐसे नेताओं को मुंहतोड़ जबाव देने का मन मतदाताओ ने बना लिया है। करीब पांच हजार से ज्यादा आबादी से घिरा ग्राम पंचायत पडरा में 2600 से ज्यादा मतदाता हैं जहां कि सुविधाओं के नाम पर इस पंचायत की उपेक्षा की गई है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का लाभ ग्रामीणों को वर्ष 2007 में उस विरोध के बाद मिला था जब इस गांव की जनता ने मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था।
जनप्रतिनिधि कर रहे उपेक्षा, सत्तासीन नेता भी बने उदासीन
इसके बाद मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के मंत्री के आश्वासन के बाद मतदान करने को राजी होने के बाद सड़क सुविधा का लाभ जरूर मिल गया है परंतु शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल मैदान, बिजली, पानी सहित अन्य समस्याएं यथावत हैं। वर्तमान सरपंच रामराज जायसवाल द्वारा काफी कोशिश की गई है कि जनता को शासन की योजनाओं का लाभ दिलाया जाय परंतु कहीं न कहीं सत्तासीन नेताओं के इशारे पर अधिकारियों की मिलीभगत होने के कारण योजनाओं का लाभ पाने से कई हितग्राही वंचित हो गए हैं। किसानों को पर्याप्त बिजली भी सिंचाई के लिए नही मिल पा रही है। खाद, बीज का संकट को लेकर इस गांव के किसान काफी परेशान हैं।
बांस के पोल से घर रोशन
कहने के लिए राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत इस गांव में भी काफी बजट मिला था लेकिन नतीजा यह है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से लगे पडरा कालोनी के समीपस्थ बांस के पोल यह बयां कर रहे हैं, कि यहां बिजली के खंभे नसीब नही हुए हैं। इसके अलावा अन्य मोहल्लों में भी बांस के पोल के सहारे ही बिजली की सप्लाई विभाग करने को मजबूर है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को सिंचाई के लिए भी पर्याप्त बिजली हासिल नही हो पा रही है।
फिर फुदकने लगे सत्तासीन नेता
पडरा पंचायत में भी कहने के लिए भाजपा के कुछ नेता जो कि चुनाव के दौरान जनता से समस्याओं का निराकरण करने की बात कहकर पार्टी के लिए वोट मांगते हैं। यह स्थितियां कई वर्षों से देखी जा रही है लेकिन चुनाव के बाद यही नेता जनता को सुविधाएं दिलाने की बात दूर उनसे मिलना भी उचित नही समझते हैं। ऐसे कुछ नेता भी सरपंची का चुनाव लडने में आगे आ रहे हैं।
समस्याओं से निजात नहीं मिली पडरा गांव को
दिसंबर 12, 2014
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