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बाघ शावक ने किया खेत में बंधी गाय का शिकार

अरुण सिंह, पन्ना.
 
मप्र के पन्ना टाइगर रिजर्व की सीमा से बाहर निकलकर एक अर्धवयस्क बाघिन ने छतरपुर जिले के चुरारन गांव स्थित खेत में बंधी एक गाय का शिकार किया है। घटना की जानकारी मिलते ही पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारी रेस्क्यू दल के साथ मौके पर पहुंचे और इस 17 माह की अर्धवयस्क बाघिन को बेहोश करके उसे सुरक्षित तरीके से पन्ना टाइगर रिजर्व के मड़ला वन परिक्षेत्र में गुरूवार को स्वच्छन्द विचरण के लिए छोड़ दिया गया। 


अर्धवयस्क बाघिन को बेहोश कर रेस्क्यू दल उसे रेडियो कॉलर पहनाते हुए
अर्धवयस्क बाघिन को बेहोश कर रेडियो कॉलर पहनाते हुए
पन्ना टाइगर रिजर्व के बाहर छतरपुर जिले के चुरारन गांव की घटना 

रेस्क्यू टीम ने अर्धवयस्क बाघिन को बेहोश कर मड़ला परिक्षेत्र में छोड़ा 


पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि मादा बाघ शावक पन्ना-433 विचरण करते हुए रिजर्व क्षेत्र से बाहर निकल गई थी। इसके द्वारा छतरपुर जिले में स्थित चन्द्रनगर परिक्षेत्र के बाहर नादिया बेहर के आगे चुरारन गांव के खेत में बंधी एक गाय का किल किया गया था। यहां चारो तरफ आबादी का माहौल था, फलस्वरूप गांव के लोगों ने जैसे ही इस मादा बाघ शावक को देखा तो यह खबर पूरे इलाके में फैल गई। जानकारी मिलने पर तत्काल पन्ना टाइगर रिजर्व एवं छतरपुर वन मण्डल का अमला मौके पर पहुंच गया। घटना स्थल का जायजा लेने के बाद प्रशिक्षित हांथियों की मदद से उक्त मादा बाघ शावक को बेहोश करके उसे दोबारा पन्ना टाइगर रिजर्व के भीतर पहुंचा दिया गया है। इस अर्धवयस्क बाघिन की पहचान पन्ना-433 के रूप में की गई है, जो बाघिन टी-4 की संतान है। इस बाघिन की विगत माह मौत हो चुकी है। 

आर. श्रीनिवास मूर्ति
आर. श्रीनिवास मूर्ति
बाघिन टी-4 की असमय मौत होने के बाद उसके तीन अर्धवयस्क शावक अनाथ हो गये, जिनमें से एक पन्ना-433 है। अनाथ हो चुके तीनों शावक कुछ दिनों तक अपनी मां की तलाश करते रहे, लेकिन जब वह नहीं मिली तो तीनों एक साथ रहने लगे। लेकिन बीते कुछ दिनों से यह मादा शावक अपने दोनों भाईयों से बिछुड़ गई और भटककर चुरारन गांव के क्षेत्र में पहुंच गई। जहां पर इसने खेत में बंधी गाय का शिकार किया। क्षेत्र संचालक मूर्ति ने बताया कि इस अर्धवयस्क बाघिन की पीठ के ऊपर पुराना घाव भी देखा गया है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि यह घाव किसी अन्य बाघ या फिर तेंदुए के हमले से हुआ होगा। बाघिन को बेहोश किये जाने के उपरान्त पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा घाव का समुचित इलाज किया गया। ऐसा बताया गया है कि यह घाव जल्दी ही ठीक हो जायेगा। पूरे आॅपरेशन का नेतृत्व एसके मण्डल, मुख्य वन संरक्षक छतरपुर के द्वारा किया गया। इस दौरान क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति, डॉ. राघवेन्द्र श्रीवास्तव वन मण्डलाधिकारी छतरपुर, डॉ. अनुपम सहाय उप संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व मौजूद रहे। मौके पर भीड़ के नियंत्रण की जिम्मेदारी छतरपुर पुलिस ने निभाई। 

अर्धवयस्क बाघिन को पहनाया गया रेडियो कॉलर
बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व में नर बाघों की तादाद मादा बाघों की तुलना में अधिक है। इस असंतुलन के चलते मादा बाघ शावकों व बाघिनों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। अर्धवयस्क बाघिन पन्ना-433 की चौबीसों घंटे निगरानी हो सके तथा यह दोबारा रिजर्व वन क्षेत्र के बाहर न जा पाये, इसके लिए पार्क प्रबंधन द्वारा इसे रेडियो कॉलर पहना दिया गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व की सभी बाघिनों को सुरक्षा के लिहाज से वीवीआईपी का दर्जा प्राप्त है, अब इस अर्धवयस्क बाघिन को भी इसी दर्जे की सुरक्षा प्रदान की जायेगी, ताकि आगे चलकर यह बाघों की वंशवृद्धि में योगदान कर सके। मालुम हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व में जन्मे तकरीबन आधा दर्जन बाघ शावक (नर) वयस्क होने के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व के बाहर विचरण कर रहे हैं।

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