Type Here to Get Search Results !

मौसम का बदलाव लेकर आए दूर देश के पाखी

रेलिक रिपोर्टर, बेगमगंज.
 
गिरते तापमान से सर्द हुआ मौसम आमजन को भले ही झकझोर रहा हो, लेकिन प्रवासी पक्षियों के लिए बेहतर वातारण बन जाने से आने का सिलसिला क्षेत्र के जलाशयों में हो चुका है। हजारों किमी की यात्रा कर पिछले करीब चार साल से क्षेत्र के तालाबों में अपना डेरा डालते है और गर्मी शुरू होते ही वापसी की राह पकड़ लेते है। 


 तुलसीपार डेम पर आए प्रवासी पक्षीयों का कलरव

तुलसीपार डेम पर आए प्रवासी पक्षीयों का कलरव
बेगमगंज के आस पास के दर्जनभर गांवों में हजारों की तादाद में पहुंचे प्रवासी पक्षी 

बेगमगंज क्षेत्र के चांदोड़ा, तुलसीपार, कीरतपुर, सागोनी, जैतपुरा, जलप्रपात राहतगढ़ सहित अन्य स्थानों पर प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां मन को खूब भा रहीं है। सुबह के समय तालाबों का नजारा ही निराला होता है। यहां प्रवासी पक्षी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेते है। जंगलों से लगे इन तालाबों पर प्रवासी पक्षियों का डेरा सुंदरता व दृश्य को और भी मनोरम बना रहा है। पिछले तीन वर्षो से प्रवासी पक्षी इन तांलाबों पर आ रहे है लेकिन इस बार इनकी संख्या में कमी आई है। लेकिन इनके आने का दौर पूरी तरह थमा नहीं है। सर्दी की दस्तक के साथ ही प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। तापमान घटने के साथ प्रवासी पक्षियों के और अधिक संख्या में आने की उम्मीद है।

हरियाली और जलस्त्रोत है पक्षियों के आने की वजह
सर्दी के मौसम में माह नवम्बर से ही प्रवासी पक्षियों की आमद शुरू हो जाती है। यहां खासकर सनबर्डस, व्हिसलिंग टीलस, सारस, बगुले, ब्लैक आइबिस, मिनिवेट्स, लाई कैंचर, स्पून बिल, ब्लैक रेड स्टार्ट, लिटिल कोरमोरेंट्स, लार्ज कोरमोरेंट्स, मूरहेन्स, वैगटेल्स, बैबलर्स, यलो लैग्ड गुल्स आदि प्रजाति के पक्षियों का नजर आने की मूल वजह यहां हरियाली और जल स्त्रोत संग्रह का होना है। इनमें सबसे ज्यादा मनभावन यलो लैग्ड गुल्स है।


बर्ड वाचिंग की फेहरिस्त में शामिल कई गांव
अक्टूबर नवम्बर माह में इन मेहमानों का पहुंचना शुरू हो जाता है। जो तालाब डैम के जलाशय को अपना आशियाना बनाते है। केवल जलीय स्थानों पर ही अपना बसेरा बनाने वाले इन नए मेहमानों ने इस बार चांदोड़ा, कीरतपुर, सागोनी, कोकलपुर, जैतपुरा, राहतगढ़ जल प्रपात एवं तुलसीपार डेम को चुनने से वर्ड वाचिंग करने वालों की फेहरिस्त में इन नए स्थानों का नाम भी शामिल हो गया है।


हजारों मील दूर से आते हैं प्रवासी पक्षी
यह प्रवासी पक्षी लेह, लद्दाख, हिमालय, साईबेरिया से अपना प्रवास शुरू करते है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश, कशमीर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जलीय क्षेत्रों में ठहरते हुए मध्यप्रदेश पहुंचते है। ठंड खत्म होते होते मार्च अप्रेल तक इनकी वापसी शुरू हो जाती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.