मध्यप्रदेश के लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर ने कहा है कि, पहले के समय और लोकायुक्त संगठन के वर्तमान दायित्वों के साथ शिकायतें हों या कार्रवाई, तीन गुना बढ़ोतरी हुई। कोर्ट प्रकरणों में लोकायुक्त पुलिस 40-45 केस में आरोपियों को सजा दिला पाती थी। अब सजा का औसत 60 फीसदी तक बढ़ गया है।
अनुपातहीन संपत्ति के प्रकरणों में 60 प्रतिशत तक बढ़ी हैं सजा
लोकायुक्त के अधिकारियों का प्रदेश स्तरीय दो दिवसीय प्रशिक्षण
बेहतर विवेचना और भ्रष्टाचार अधिनियम को सार्थक बनाना
जस्टिस नावलेकर मंगलवार को भ्रष्टाचार अधिनियम को अधिक सार्थक बनाने और विवेचनाओं की बेहतर तकनीकों की जानकारी देने लोकायुक्त भवन में दो दिवसीय प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण शिविर के शुभारंभ परबोल रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार भले भ्रष्टाचार पर प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की बात कहें, लेकिन लोकायुक्त की कार्रवाईयों में सहयोग नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि, सरकार के पास तीन महीनों से लंबित अभियोजन स्वीकृति आकंडेÞ बताते हुए कहा कि, भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन स्वीकृति में देरी के नतीजे में विपरीत धारणा बनती है। भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया पूर्ण होने से समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा।
जस्टिस नावलेकर ने संगठन में स्टाफ एवं सुविधाओं की हालत सामने रखते हुए बताया कि, वर्तमान में लोकायुक्त की ईकाईयोें में डीएसपी के पदों की कमी है, इसी के साथ अधीनस्थ स्टाफ भी नहीं है। नतीजा यह है कि, लोकायुक्त के अधीन प्रदेशभर में 600 प्रकरणों की जांचें लंबित हैं, जिनकी तेजी से जांच नहीं हो पा रही है।
इस मौके पर रिटायर्ड जज केसरवानी ने लोकायुक्त की चालानी कार्रवाईयों की कमियों को सामने रखते हुए सुधारने के बारे में बताया। पंजीयक महानिरीक्षक दीपाली रस्तोगी ने भूमि एवं अन्य संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के नियमों के बारे में बताया। रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक, जेल पीएल पांडे ने भी अपने पुराने अनुभव सुनाने के साथ-साथ एक्ट के नए प्रावधानों पर चर्चा की। सीबीआई के लीगल एडवाइजर खान ने विवेचनाआें में तकनीकी के इस्तेमाल पर जोर दिया। इस प्रशिक्षण में लोकायुक्त के समस्त संभागों के पुलिस अधीक्षकों कें साथ ही चयनित उप पुलिस अधीक्षक और निरीक्षक भागीदारी कर रहे हैं।