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बैंक के वसूलीकर्ताओं पर भारी पड़ रहे कर्जदार

राम बिहारी पांडे, सीधी.
जिला सहकारी बैंक द्वारा बांटे गये ऋण की वसूली करने में बैंक सहित प्रशासनिक अमले को पसीना छूटना शुरू हो गया है। उनके सामने जहां कलेक्टर के चाबुक चलने का भय सताने लगा है वहीं वसूली के लिये पहुंचने पर कर्जदारों के अपमान का शिकार होना पड़ रहा है। 



बैंक के वसूलीकर्ताओं पर भारी पड़ रहे कर्जदार
वसूली करने गए तहसीलदार और कर्मचारियों को मिली धमकी

जिला केंद्रीय सहकारी बैंक ने प्रसाद की तरह बांट दिया था ऋण


लक्ष्य पूरा करने किसानों के घर का दरवाजा पीट रहे अधिकारी

बताते चलें कि जिला सहकारी बैंक के तत्कालीन प्रबंधक व व्यवस्थापकों ने कर्ज भागवत के प्रसाद की तरह बांटा था। तब किसी कागजात का परीक्षण नही किया गया था, जिसके कारण अब वसूली करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। बैंक अधिकारी रसूखदारों को कर्ज देकर अब बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे है। यह भी बताना जरूरी है कि जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक सीधी जिले का ही नही बल्कि मप्र का अग्रणी बैंक बन गया था, जहां शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने के दावे करके किसानो की वाहवाही लूटी जा रही थी। हालांकि, कर्ज ऐसे किसानों को दिया जा रहा था जो प्रशासन पर भारी पडकर कर्ज अदा नहीं करने में सक्षम है। बानगी सोमवार को तब देखने को मिली जब कलेक्टर के निर्देश पर चुरहट तहसीलदार अजय तिर्की बडा टीकट के समिति प्रबंधक को साथ लेकर कर्ज की वसूली के लिये इन रसूखदार किसानों के पास जा रहे थे। उनके द्वारा खरीदे गये वाहनों, कृषि उपकरणों को जप्त कर रहे थे, तभी बडा टीकट के ही एक किसान ने समिति प्रबंधक के मोबाईल नंबर पर फोन करके गाली गलौच करने के साथ देख लेने की धमकी दे डाली, जिसकी शिकायत चुरहट थाने में दर्ज कराई गई है। बावजूद, आरोपी के विरूद्ध चुरहट पुलिस ने कोई आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध नही किया है। 

रेवड़ी की तरह बांटा गया कर्ज
कहने के लिये तो जिला सहकारी बैंक किसानों की बैंक है वह उनके कृषि संबंधित उपकरण खाद बीज खरीदी के लिये कर्ज दे सकती है किंतु बैंक के अधिकारियों ने नियमों को ताक में रखकर कर्ज का वितरण करना शुरू कर दिया। यहां तक कि चार पहिया, वीआईपी वाहन बुलेरो, स्कार्पियों, सफारी सहित सवारी वाहन के अलावा उद्योगों में लगने वाले वाहनों के फाईनेंस भी किए। इन सभी कर्जो को केसीसी ही बताया जा रहा था। कृषि उपकरणों पर नजर दौडायें तो सबसे ज्यादा टै्रक्टर खरीदी की मंजूरी दी गई है उस पर भी सोने में सुहागा बैंक के अधिकारियों ने तब लगा दिया जब हरिजन आदिवासियों के नाम पर ट्रैक्टरों की खरीदी की मंजूरी दे दी। उन ट्रैक्टरों का उपयोग रसूखदार किसान कर रहे है, कर्जदार हरिजन आदिवासी बन गये है। इस बात की जानकारी उन्हे तब लगी जब बैंक के संचालन की बागडोर कलेक्टर के हांथ में आई और वे बैंक द्वारा बांटे गये कर्ज की वसूली शुरु हुई। हरिजन आदिवासी किसान यह जानकर आश्चर्यचकित रह गये कि वे हल, बैल से खेती कर रहे है पर कर्जदार ट्रैक्टर के हो गये है। 


फंस गए गरीब आदिवासी किसान
बैंक के अधिकारियों ने जिन किसानों की फोटो व जमीन के रिकार्ड लगाकर ट्रैक्टर सहित अन्य मशीनरी खरीदने के लिये कर्ज दिया है, उनसे जब वसूली करने की बारी आई तो वे संबंधित किसान पर कर्ज अदा करने का दबाव बनाने लगे। मशीनरी का उपयोग करने वाले किसान उसके सिर पर कर्ज मढ कर कर्ज अदा करने से इंकार कर दिये। अब बेचारे इन हरिजन आदिवासियों के सामने अपने पैतृक जमीनों को बेचने अथवा शासन द्वारा कुर्क कराने के सिवा कोई रास्ता शेष नही रह गया है। 


संकट में फंसे अधिकारी-कर्मचारी
जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक सहित पूरा प्रशासनिक अमला संकट में घिरता नजर आ रहा है। बांटे गये ऋण की वसूली के दौरान रसूखदार किसानों के हाथो अपमानित होने का अंदेशा बना हुआ है वे चाह कर भी कर्ज की वसूली नही कर पा रहे है। वैसे तो प्रशासन उनकी संपत्ति कुर्क करने की तैयारी में है लेकिन दमखम रखने वाले किसानों के पास जाने की हिम्मत वसूलीकर्ता नही जुटा पा रहे है। छोटे-छोटे किसानो पर जरुर दबाव बनाया जा रहा है। 


आरआरसी के तहत वसूली गई राशि
बैंंक प्रबंधन के दिवालिया होने की स्थिति में प्रशासनिक अमले ने वसूली का कार्य तेज कर दिया है और वसूली का जिम्मा जिले के तहसीलदारों को दिया है। कलेक्टर द्वारा जारी आरआरसी तहसीलदार चुरहट को मिली है तब से आज तक 12 लाख 71 हजार की वसूली की जा चुकी है, जिसके पांच लाख रूपये गत सोमवार को वसूली की गई। इसमें हाईवा 1 नग, ट्रैक्टर 3 नग, 407 1 नग, आटो 1 नग शामिल हैै। ज्ञात हो कि जिले के किसानों पर 3 अरब 25 करोड रूपये बकाया है जिसके विरूद्ध आरआरसी जारी कर कलेक्टर ने वसूली के आदेश दिए हैं। 


एक करोड़ 42 लाख की वसूली और 11 वाहन जप्त
कलेक्टर विशेष गढ़पाले द्वारा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के बकायादारों से कड़ाई करने की पहल के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। 54 समितियों एवं बैंक के माध्यम से एक करोड़ 42 लाख 06 हजार रूपये की वसूली की गयी है जबकि 11 वाहन भी जप्त किये गये हैं। कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने कहा है कि वसूली के दौरान बैंक एवं सम्बद्ध समितियों के आरआरसी प्रकरणों में कोई समझौता योजना एवं छूट लागू नहीं होगा। बकायादारों से कड़ाई से वसूली होगी।

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