रेलिक रिपोर्टर, सीधी.
विंध्य क्षेत्र के तराई अंचल में दहशत का पर्याय बने दस्यु सरगना बलखडिया
के पत्र ने जिले के राजनैतिक दलों में दहशत का वातावरण बना दिया था, पुलिस
मामले की जांच करने में जुट गई थी। पुलिस तह तक पहुंच तो गई थी पर जैसे ही
मामला अखबार से जुडा हुआ सामने आया, पूरा का पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल
दिया गया है।
नेताओं को मारने के धमकीभरे पत्र की जांच ठंडे बस्ते में
बीते छह महीने पहले दस्यु बलखडिया का पहुंचा था खत
भतीजे के जेल से भागने की खबर लगते ही दहशत में नेता
एक बार फिर मामला सुर्खियों में आता तब नजर आने लगा है जब
मीडिया जगत में इस बात की चर्चा जोरशोर से की जाने लगी कि उत्तरप्रदेश के
चित्रकुट के अहिरनपुरवा गांव के बाल सुधार जेल से 6 लाख के इनामी डकैत
बलखडिया का भतीजा भाग निकला है। बता दें कि जून जुलाई के महीने में सीधी
जिले के कुछ समाचार पत्रों के दफ्तरो में पूर्व नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस
के जिलाध्यक्ष सहित जिला सहकारी बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष को मारने की धमकी
भरा पत्र पहुंचा था। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने जांच शुरु करवाई थी कि, यह
पत्र कहां से आया था किस डाक से आया था सबसे पहले किसके पास पहुंचा था इस
बात की पुष्टी अब तक नही हो पाई है। नेताओं को सुरक्षा देने की घोषणाएं कर
दी गई थी किंतु उपलब्ध नही कराई गई थी। तभी से पत्र की असलियत पर संदेह
व्यक्त किया जाने लगा था। यह मामला ठंडा पड़ गया था, लेकिन बलखडिया के भतीजे
के जेल से फरार होने की खबर आते ही एक बार फिर मामले में गरमाहट आ गई है।
नही खुला बलखडिया के पत्र का राज
दस्यु
सरगना बलखडिया के पत्र का मामला भले ही राजनीति में भूचाल ले आया हो, पत्र
की असलियत आज भी रहस्य बनी हुई है। हर व्यक्ति के जुबान से एक ही बात निकल
कर सामने आ रही है कि आखिर यह पत्र उन नेताओं के पास तक क्यों नही पहुंचा
जिन्हे दस्यु सरगना धमकी दे रहा था। दूसरा सवाल यह भी सामने आ रहे हैं कि
आखिर दस्यु सरगना के पास समाचार पत्रों के दफ्तरों के पते कहां से पहुंच
गए। जानकारों की माने तो पुलिस के पास पत्र डाक से नही अपितु मीडिया के
माध्यम से पहुंचा था। पुलिस ने इस बात की तहकीकात करनी उचित नही समझा कि ये
किसकी शरारत थी या फिर वास्तव में बलखडिया ने ही पत्र भेजा था।
दस्यु बलखडिया का भतीजा जेल से फरार
दिसंबर 13, 2014
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