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भारतीय नस्ल के दुधारु पशुओं की मप्र में वंशवृद्धि की तैयारी

रविन्द्र सिंह, भोपाल

विशुद्ध भारतीय नस्लों के दुधारु पशुओं की वंशवृद्धि के लिए अब मध्यप्रदेश में भी केंद्रीय पशु पंजीकरण योजना शुरु की जा रही है। इसके तहत दुधारु पशुओं की खरीद से लेकर पालन एवं दुग्ध उत्पादन में मदद के साथ ही गौसेवकों को आर्थिक मदद भी दी जाएगी। इससे उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता की गाय एवं भैसों की देशी नस्लोंं के संरक्षण एवं उन्नयन के साथ ही पशुपालकों एवं किसानों को कई गुना आर्थिक लाभ भी होगा। 


 संबोधित करते हुए पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के एमडी
संबोधित करते हुए पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के एमडी
मध्यप्रदेश में भी शुरु होगी केंद्रीय पशु पंजीकरण योजना

राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम बनेगा माध्यम


 केंद्रीय पशु पंजीकरण को लेकर राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम ने बुल मदर फार्म भदभदा पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें प्रदेशभर से 150 से ज्यादा पशुपालक और किसानों ने भागीदारी की। इसमें निगम के प्रबंध संचालक डॉ. एचबीएस भदौरिया, विषय विशेषज्ञ डॉ. एचके सिंह, उप पंजीकरण, केंद्रीय पशु पंजीकरण योजना, भारत शासन के अलावा डॉ. एसएस तोमर, प्राध्यपाक (पशु प्रजनन एवं आनुवांशिकी) पशु चिकित्सा महाविद्यालय महू, डॉ. आरके दिलावरे, संयुक्त संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं, डॉ. आनंद सिंह कुशवाह, सहित 20 चयनित जिलों से संयुक्त संचालक, उपसंचालक, पशु चिकित्सा शल्यज्ञ, गौसेवक एवं प्रगतिशील पशुपालकों ने भागीदारी की। 
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुंभारम्भ निगम के प्रंबंध संचालक डॉ. एचबीएस भदौरिया ने करते हुए बताया कि, प्रदेश में श्वेत क्रांति के लिए अनुकूल माहौल है, सिर्फ इस दिशा में सार्थक प्रयास किए जाने की जरुरत है। कोशिश होनी चाहिए कि, हमारे परिवेश में भारतीय नस्लों को ही पाला जाए। इससे जहां कृषि कार्य में मदद मिलती है, वहीं दुग्ध उत्पादन भी बढ़ता है। दूध देने वाले पशुओं को निरोगी और स्वस्थ्य रखने के लिए चिकित्सा सुविधाएं भी हैं। डॉ. एसएस तोमर ने मध्यप्रदेश मूल की नस्लों की पहचान संबंधी प्रस्तुतीकरण दिया। 

उन्मुखीकरण प्रशिक्षण में शामिल होने वाले विशेषज्ञ एवं किसान
उन्मुखीकरण प्रशिक्षण में शामिल होने वाले विशेषज्ञ एवं किसान
विदेशी नस्लों के बजाय देशी नस्लें ज्यादा फायदेमंद
डॉ. एचके सिंह, उप पंजीकरण, केंद्रीय पशु पंजीकरण योजना ने जानकारी दी कि, जर्सी नस्ल की गाय के मुकाबले भारतीय मूल नस्ल की गाएं कहीं ज्यादा दूध दती हैं। इसके साथ ही उनके बछडे भी शक्तिशाली और कृषिकार्य के लिए बेहद अनुकूल होते हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि दलालों के माध्यम से दुधारु पशुओं को खरीदने के बजाय निगम के माध्यम से खरीदने पर बीमा और अन्य रिस्क आसानी से कवर हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा केंद्रीय पशु पंजीकरण योजना जल्द ही मध्यप्रदेश में राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के माध्यम से क्रियान्वित की जाएगी। इसमें न्यूनतम दूध देने वाले पशुओं का पंजीकरण करके वत्स पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।

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