रेलिक रिपोर्टर, भोपाल.
दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स-2010 में हुए घोटालों की आग भोपाल तक पहुंच गई है। टेंडर में लागत फिक्स होने के बाद भी भारतीय खेल प्राधिकारण (साई) खिलाड़ियों के लिए लगवाए एथलेटिक ट्रैक के बदले 2 करोड से ज्यादा भुगतान कर दिया। भोपाल साई सेंटर में लगभग चार करोड़ रुपए में सिंथेटिक ट्रैक लगाना था, लेकिन टेंडरिंग में लागत ‘फिक्स’ होने की शर्त के बाद भी करीब छह करोड़ रुपए खर्च हो गए। खास यही कि, कॉमनवेल गेम्स 2010 के तहत दिल्ली में करीब साढे 27 करोड़ से सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक बिछाने वाली कंपनी स्विटजरलैंड कोपीपुर- एमएक्स ने ही भोपाल में भी ट्रैक बिछाया।
कॉमनवेल गेम्स 2010, दिल्ली में ट्रैक बिछाने वाली कंपनी को ही दिया गया टेंडर
भारतीय खेल प्राधिकारण (साई) सेंटर में बिछाया गया है सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक
टेंडर में लागत की शर्त फिक्स होने के बाद भी किया गया 2 करोड़ से ज्यादा खर्च
गौरतलब है कि 2010 में जब साई भोपाल में सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक का टेंडर हुआ था, तब इसकी लागत 3 करोड़ 83 लाख 56 हजार 305 रु पए तय की गई थी। हालांकि, अब इसकी लागत 5.95 करोड़ रुपए बताई जा रही है। सूत्रों की माने तो सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक के टेंडर के समय इसकी कीमत 55 रुपए प्रति डालर के हिसाब से तय थी, जबकि भुगतान 62 रुपए प्रति डालर के हिसाब से कर दिया गया। टेंडर में सिंथेटिक ट्रैक की कीमत 2 करोड 93 लाख 56 हजार 415 रुपए, आसफाल्टिकर लेयर 74 लाख 40 हजार 890 रुपए एवं इक्यूपमेंट्स की दर 15 लाख 95 हजार रुपए निर्धारित की गई थी। बावजूद ट्रैक लगाने में साई ने 3 करोड़ 83 लाख 56 हजार 305 रु पए की जगह लगभग 5.95 करोड़ रुपए का भुगतान कर ड़ाला।
अफसरों की लापरवाही से बढती गई लागत
ट्रैक लगवाने की प्रक्रिया की शुरुआत 2008 से हुई थी, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के नतीजे में 2010 में इसके टेंडर हो सके। टेंडर के वक्त हर कार्य और सामान की लागतों को फिक्स रखने की शर्त समाहित थी। बावजूद लागत में दो करोड से ज्यादा की बढोतरी को लेकर और काम में देरी को लेकर साई प्रबंधन और केंद्रीय लोक निमार्ण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। साई डायरेक्टर राजेंद्र सिंह बताते हैं कि सीपीडब्ल्यूडी ने काम में देरी की, जबकि सीपीडब्ल्यूडी के कार्यपालक अभियंता (भोपाल केंद्रीय मंडल-1) जयराम का कहना है कि साई से ही राशि मिलने में देरी हुई, जिसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, तीन करोड़ की राशि पिछले साल ही मिली।
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देरी से बढ़ती गई ट्रेक की लागत
सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक की कीमत काम में देरी होने से बढ़ गई है। इस बारे में पूरी जानकारी सीपीडब्ल्यूडी से ही मिल सकती है, क्योंकि निर्माण कार्य सीपीडब्ल्यूडी ने ही किया है।
राजेंद्र सिंह, डायरेक्टर, साई सेंटर, भोपाल
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देरी के लिए साई वाले हैं दोषी
साई के लोकल अधिकारियों द्वारा फंड उपलब्ध कराने में देरी की गई। जहां तक लागत बढ़ने की बात है तो निर्माण सामग्री की कीमत बढ़ने से ठेकेदारों को भुगतान ज्यादा करना पड़ा।
जयराम, कार्यपालक अभियंता (बीसीडी-1),सीपीडब्ल्यूडी