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करोड़ों का चंदा, फिर भी तुलबा को न ढंग का खाना न तालीम

रेलिक रिपोर्टर, भोपाल.
 
सालाना करोड़ों का चंदा मिलने के बाद भी मदरसा दारूल उलूम ताजुल मसाजिद के निजाम में गड़बड़ियों की भरमार है। आलम यह है कि, तुलबा को दी जाने वाली तालीम से लेकर दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी तक गिर चुकी है। इसकी मुखालफत करने और सही खाना एवं काबिल उस्तादों से तालीम की मांग करने पर 500 तुलबा को पुलिस के जोर से आनन फानन में बीते इतवार को मदरसा खाली करवा लिया गया। दारुल उलूम का इंतजाम संभालने वाले अब तुलबा को पीर सईद मियां के खिलाफ जाने और दूसरे गलत इल्जाम लगाकर बदनाम कर रहे हैं, जबकि तुलबा न पहले और न ही कभी आगे पीर साहब के सामने सिर उठाने वाले हैं। कोशिश हो रही है कि, तुलबा को पीर सईद मियां साहब के खिलाफ दिखाया जाकर कौम को भड़काया जा सके।


मदरसा दारूल उलूम ताजुल मसाजिद
गड़बड़ियों की भरमार है भोपाल की ताजुल मसाजिद मदरसा दारूल उलूम में

मीडिया से मुखातिब होते हुए मदरसा के तुलबा ने किए चौंकाने वाले खुलासे


14 दिसंबर को शूरा कमेटी व तुलबा के परिवारों की मीटिंग बुलाई प्रबंधन ने


यह चौंकानेवाले खुलासे मंगलवार को मीडिया से मुखातिब मदरसा दारूल उलूम ताजुल मसाजिद के तुलबा (विद्यार्थियों) ने मदरसे को दोबारा खोलने की मांग करते हुए किए। मोहम्मद इम्तियाज सहित मोहम्मद अहकाम, मोहम्मद फैजान, मोहम्मद असद, मोहम्मद तौफील, मोहम्मद हफीज सहित सौ से ज्यादा तुलबा ने आरोप लगाया कि दारूल उलूम में एक ही परिवार के 15 लोगों को उस्ताद के पद पर तैनाती दी गई है। शूरा कमेटी के मेंबर प्रो. हस्सान को पंद्रह साल पहले नाकाबिल माना गया था, लेकिन अब वह काबिल होकर इंतेजामिय कमेटी में हैं और उनके बेटे मौलवी सूफियान भी उस्ताद बन चुके हैं। मौलवी सूफियान को किताब को समझ में नहीं आने की मजबूरी बताकर पढ़ाते नहीं हैं। अयोग्य लोगों की भर्ती किए जाने से तालीम का स्तर गिर रहा है। इसका विरोध करने और काबिल उस्तादों की मांग करने पर मदरसे को बंद कर मध्यप्रदेश सहित कश्मीर, बिहार, उत्तरप्रदेश आदि के 500 तुलबा को मदरसा छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया। तुलबा ने मदरसे के अमीर पीर सईद मियां से सवाल किया है कि किसी मदरसे को बंद करना क्या शरीअत के हिसाब से सही है। 


मदरसा दारूल उलूम ताजुल मसाजिदकरोड़ों का चंदा फिर भी कच्ची रोटियां
तुलबा ने बताया कि उनके गांवों के साथ ही देशभर से हर साल करोड़ों का चंदा आता है। बावजूद मदरसा में खाने का भी सही इंतेजाम नहीं किया जाता है। उन्हें कम खाना दिया जाता है। छात्रों को कच्ची रोटियां व बेस्वाद दाल, सब्जी दी जाती है। आवाज उठाने पर जावेद कंजे मियां के इशारे पर मार पीट, गाली गलौच और जान से मारने की धमकियां दी जाती है। मदरसा से निकाले जाने के बाद तुलबा भोपाल में यहां वहां छिपे हुए हैं, जिनको धमकाने से लेकर हमला तक करने की कोशिश हो रही है। कभी भी तुलबा के साथ कोई वारदात हो सकती है। ऐसे में उनको पुलिस प्रोटेक्शन दिया जाए। 


अब 14 दिसंबर को शूरा कमेटी की बैठक
ताजुल मसाजिद स्थित दारूल उलूम प्रबंधन की ओर से देर शाम जारी एक बयान में कहा गया है कि, तुलबा के गैर जिम्मेदाराना रवैए की शिकायत उनके अभिभावकों से की जाएगी। इसके लिए 14 दिसम्बर को शूरा की मीटिंग बुलाई गई है, जिसमें हालात पर रायशुमारी होगी। इसके साथ ही मदरसे को दोबारा खोलने पर फैसला भी किया जाएगा। दूसरी ओर, सूत्रों के मुताबिक आलमी तब्लीगी इज्तिमा के कारण दस दिन की छुटटी होने से वैसे भी मदरसा बंद ही रहेगा। इसके बाद आवाज उठाने वाले करीब 10 तुलबा लीडर को बाहर का रास्ता दिखाने और बाकी को माफी के बाद वापस ले लिया जाएगा।

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