नगर के पुराना पन्ना स्थित नई बस्ती में एक ही परिवार के चार सदस्यों की हुई सामूहिक हत्या की घटना से समूचा शहर दहल गया है। पुराना पन्ना स्थित निवास में श्रीमती सावित्री उर्फ रानी 40 वर्ष सहित बड़ी बेटी कु. शिल्पी 19 वर्ष, पुत्र पुष्पेन्द्र 12 वर्ष तथा करन 8 वर्ष की सड़ी-गली लाश मिली है। ऐसा प्रतीत होता है कि अज्ञात हत्यारों द्वारा तीन-चार दिन पूर्व घटना को अंजाम दिया गया है। हत्या की वजह व हत्यारों का पुलिस को अभी कोई सुराग नहीं मिला है।
पुराना पन्ना स्थित वह घर जहां चार लाशें मिलीं |
न तो पता चली हत्या की वजह और न ही हत्यारों का कोई सुराग
मृतक परिवार पुराना पन्ना स्थित अपने घर में कई वर्षों से निवास कर रहा था। पिछले तीन-चार दिनों से घर का कोई सदस्य जब किसी को नजर नहीं आया और घर के भीतर से दुर्गन्ध आने लगी तो पास-पड़ोस के लोगों को आशंका हुई। मामले की सूचना थाना कोतवाली पन्ना को दिए जाने पर पुलिस ने आज जब घर का दरवाजा खुलवाया तो भीतर का नजारा देख लोगों के रोंगटे खड़े हो गये। घर के भीतर असहनीय दुर्गन्ध थी और चार लाशें रजाई व गद्दे में लिपटी पड़ी हुई थीं।
घटना स्थल पर सुराग लेता पुलिस डॉग |
मामले की गंभीरता को देखते हुए एफएसएल अधिकारी डा. किरन सिंह व पुलिस डॉग को बुलाया गया। घटना स्थल का एडीशनल एसपी आरडी प्रजापति, एसडीओपी राघवेन्द्र सिंह बघेल व टीआई केके खनेजा ने जायजा लिया तथा मोहल्लेवासियों से पूछताछ की। पुलिस के मुताबिक हत्या की घटना गला घोटकर अथवा जहर खिलाकर की गई प्रतीत होती है, क्यों कि घटना स्थल पर खून के कोई निशान नहीं मिले तथा मृतकों के शवों में भी चोट व घाव के कोई चिन्ह नजर नहीं आये। घटना स्थल का जायजा लेने के उपरान्त चारों शवों को पोस्ट मार्टम के लिए भेज दिया गया।
मृतिका सावित्री ने की थी अपने पति की हत्या
नगर निरीक्षक थाना कोतवाली पन्ना केके खनेजा ने बताया कि मृतिका सावित्री उर्फ रानी भी अपराधिक प्रवृत्ति की महिला थी। इसने वर्ष 1995 में अपने पहले पति दयाराम की हत्या कर दी थी, उस समय इस महिला के दो पुत्रियां नीलम व शिल्पी थीं। हत्या के इस मामले में सावित्री जेल में भी रही, जो बाद में बरी हो गई। पति की हत्या मामले में बरी होने के बाद इसने प्रकाश भाट नाम के व्यक्ति को अपना दूसरा पति मान लिया और उसके साथ रहने लगी। फलस्वरूप सावित्री के दो पुत्र पुष्पेन्द्र व करन हुए। लेकिन वर्ष 2008 में सावित्री की बड़ी पुत्री नीलम ने अपने ही पिता के खिलाफ दुष्कृत्य का मामला पंजीबद्ध कराया था, जिससे दयाराम भाट भी जेल की सीखचों के भीतर पहुंच गया। जेल से बाहर आने के बाद 10 सितंबर,2010 से यह व्यक्ति लापता है, जिस पर गुम इंसान क्रमांक 59/ 10 दर्ज है।
घर के बाहर विचार विमर्श करते पुलिस अधिकारी |
पन्ना शहर में बीते दस दिनों के दरम्यान हत्या की यह दूसरी घटना है, जिसने सभी को दहला कर रख दिया है। पुराना पन्ना की नई बस्ती में हुए इस सामूहिक हत्याकाण्ड के पूर्व नगर के टिकुरिया मोहल्ला स्थित द मदर कान्वेन्ट स्कूल के छात्र रनित सिंह की जघन्य हत्या हुई थी। इस 15 वर्षीय छात्र का शव विद्यालय के निकट स्थित कुंए में मिला था, जिसके हाथ व पैर रस्सी से बंधे हुए थे। इस सनसनी खेज हत्या की घटना को अभी लोग भूल भी नहीं पाये कि शहर से लगी इस बस्ती में एक साथ चार लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। पन्ना पुलिस अभी छात्र रनित सिंह की हत्या के मामले को सुलझा नहीं पाई है, हत्यारे पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं और यह दूसरी बड़ी वारदात घटित हो गई। हत्या की इन लगातार हो रही घटनाओं से पुलिस की जहां किरकिरी हो रही है वहीं आम जनता में असुरक्षा और भय का वातावरण निर्मित हो रहा है।
अपराधिक गतिविधियों का अड्डा बनीं झुग्गी बस्तियां
शहर के आसपास तेज गति से आबाद हो रहीं झुग्गी बस्तियां अपराधिक गतिविधियों का अड्डा बनती जा रही हैं। इन बस्तियों में छोटे-बड़े हर तरह के अपराध जहां घटित होते हैं, वहीं गंभीर किस्म के खतरनाक अपराधी भी यहां पनाह पाते हैं। इस तरफ पुलिस प्रशासन का ध्यान भी आकृष्ट कराया जाता है, लेकिन अपराधों की रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते। जब कोई बड़ी वारदात होती है उसी समय पुलिस सक्रिय होती है, इसके बाद इन बस्तियों की तरफ नजर भी नहीं डाली जाती। यही वजह है कि शहर से लगे बाहरी इलाकों में विस्तार ले रही झुग्गियां शान्ति और कानून व्यवस्था के लिए खतरा बनती जा रही हैं।