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ग्रामीणों की मौत से पल्ला झाड रहा स्वास्थ्य विभाग

रेलिक रिपोर्टर, पेटलावद/झाबुआ.
 
ग्रामीण मरते जाए हमारा काई दोष नही, उनकी गलती से उनकी मौत हो रही है इसमें स्वास्थ्य विभाग क्या कर सकता है। कुछ इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तारखेडी में 6 लोगो की मौत के बाद कर रहे हैं। दूसरी ओर, वास्तविकता तो यही है कि मौत का कारण स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है। 


बिना इलाज की बुखार पीडितों की भीड
बिना इलाज बुखार पीडितों की भीड
शिविर में जांच के नाम पर ले रहे पैसे  
पिछले वर्ष भी विभाग की लापरवाही से इसी पंचायत के गरवाखेडी ग्राम में ग्रामीणों की जान पर बन आई थी। सही समय पर पत्रकारों ने विभाग की आंख खोल दी वरना कितने ही ग्रामीण मौत के आगोश में समा जाते। तारखेडी में भी मृतको की संख्या बढ़ जाती, अगर पत्रकार सही समय पर जाकर विभाग को नही जगाता। खबर मिलने पर जब पेटलावद के कुछ पत्रकार वहां पहुंचे तो बडी ही दयनीय स्थिती देखने को मिली थी। एक ओर गांव के एक फलिये के सैकड़ों लोग बुखार से कराह रहे थे तो दूसरी ओर झकनावदा से भेजा गया स्वास्थ्य विभाग का दल ग्रामीणो से खून की जांच करने के 50-50 रूपए वसूल रहा था। मामले के तूल पकडने पर सीएमएचओ और पेटलावद विकासखंड की बीएमओ ने मामले से पल्ला झाड लिया है। स्वास्थ्य विभाग के पल्ला झाडने से मृतको को प्रशासन की ओर से अब कोई सहायता राशी नही मिलने की बात साफ हो गई है। 


उपसंचालक, स्वास्थ्य केसीएल शर्मा
उपसंचालक, स्वास्थ्य केसीएल शर्मा
उपसंचालक ने जाने पीडितों के हाल
सोमवार को मामला प्रकाश में आने के बाद जिले से सीएमएचओ रजनी डावर ओर विकासखंड की बीएमओ उर्मिला चोयल ने मरीजों के हाल जाने और गांव का भ्रमण भी किया। ग्रामवासियों को सफाई के अलावा कोई आश्वासन नही दिया। गांव में ही शिविर लगाकर पीडितो का उपचार भी किया गया। 80 ग्रामीणों की जांच में 14 ग्रामीण मलेरिया की चपेट में पाए गए। तुरंत उचित उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पेटलावद पर भर्ती करवाया गया। दोपहर को इंदौर संभाग स्वास्थ्य विभाग के उपसंचालक केसीएल शर्मा ने पीडितों के हाल जाने। लेकिन संभाग से आए उपसंचालक शर्मा भी बुखार से हुई मौतो के बारे में कुछ भी बोलने से बचते रहे। हवा के झोंके की तरह आए शर्मा हवा के झोंके की तरह ही बिना ग्रामीणों को आश्वस्त किए लौट गए। कुल मिलाकर यह बात साबित हो गई की मरने वालों से विभाग को कोई लेना देना नही। विभाग सफाई को लेकर ज्यादा जोर दे रहा है, लेकिन खुद के गिरेबा में नही झांक रहा। क्योंकि हर वर्ष करोडों रूपए की दवाई छिडकाव के लिए हर स्वास्थ्य केन्द्र पर दी जाती है। पिछले 5 वर्षो से एक बार भी तारखेडी गांव में दवाई का छिडकाव नही किया गया है।

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