रेलिक रिपोर्टर, भोपाल
अपने बेटे को नायब इमाम बनाने की रस्मअदायगी के मौके पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाने और भारतीय प्रधानमंत्री को नहीं बुलाने पर मचे प्रोपेगंडा पर पूर्व कांग्रेसी सांसद और मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन गुफराने आजम ने दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी को पत्र लिखते हुए तल्ख लहजे में मामूली इमाम के शाही इमाम बनने पर जवाब तलब किया है।
सैयद अहमद बुखारी को लिखे पत्र में पूर्व कांग्रेसी सांसद गुफराने आजम ने फर्जी शाही इमाम बनने पर दिया अल्टीमेटम
शुक्रवार को लिखे इस खत में आजम ने जानना चाहा है कि, जामा मस्जिद का इमाम आखिर शाही इमाम कैसे बन गया? क्योंकि, अब मुल्क में न तो शंहशाह और शहनशाहियत है, ऐसे में अहमद बुखारी किस शंहशाह के इमाम हैं, जो अपने आप को शाही इमाम बता रहे हैं?
पूर्व सांसद आजम ने यह अल्टीमेटम भी दिया है कि, अगर नाम के आगे शाही इमाम लिखना नहीं छोड़ा और छिछोरी हरकतों से बाज नहीं आए तो बुखारी को कोर्ट तक घसीटेंगे। आजम ने जानना चाहा है कि, आखिर उनको किसने शाही इमाम बना दिया, क्योंकि हर शहर में एक जामा मस्जिद होती है, जो किसी नवाब ने ही बनवाई होती है। ऐसे में हर जामा मस्जिद का इमाम अपने आप को नवाबी या शाही इमाम नहीं कहने लगता। आजम ने याद दिलाया है कि, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के समय भी अहमद बुखारी के पिता ने जामा मस्जिद में ही लाउडस्पीकर लगवाकर माहौल गंदा किया था। कौम की लीडरशिप का मुखौटा पहने बुखारी ने कभी भी मुल्क या कौम के लिए कुछ नहीं किया। बुखारी ने तो पार्टी बनाकर उत्तर प्रदेश में चुनाव भी लड़वाया था, जिसमें सारे प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।
आजम ने लिखा है कि, अपने बेटे को नायब इमाम बनाने के कार्यक्रम में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को बुलावा देना और भारत के प्रधानमंत्री को नहीं बुलाने का मतलब तो यही हुआ कि, कोई चपरासी अपने बेटे की शादी में प्रधानमंत्री को नहीं बुलाए। बुखारी ने ऐसा करके मुल्क का अपमान किया है और मुसलमानों की रहनुमाई का ढोंग कर रहे हैं, जबकि आज तक एक भी मुसलमान का भला नहीं किया।
अब मुसलमानों को इंतजार है बुखारी के जवाब का
आजम के दो टूक लिखे गए खत से मुस्लिम सियासत गर्माने के साथ ही आम मुसलमान भी सोचने पर मजबूर हो गया है कि, आखिर अहमद बुखारी मामूली इमाम होने के बावजूद शाही कैसे बन गए। ऐसे में माना जा रहा हैकि, अब मुसलमानों को इंतजार है तो बुखारी के जवाब का, जोकि फिलहाल उम्मीद कम ही है। इसकी सीधी सी वजह है कि, इस्लाम में शाही इमाम जैसा कोई प्रावधान या पंरपरा नहीं है। बावजूद, इमाम बुखारी अपने आप को शाही बताते आ रहे हैं। इसके अलावा जामा मस्जिद का बिजली का बिल जो 4 करोड़ से ज्यादा है, वह भी नहीं भरा जा रहा है। मस्जिद के बाहर की दुकानों का किराया भी वसूलते हैं। लग्जरी कारों का काफिला है। हालांकि, जिन मुसलमानों की गरीबी और मजबूरी पर अफसोस जताते हैं तो उनके लिए कभी कुछ नहीं किया।