रेलिक रिपोर्टर, लखनऊ.
कभी
खुशी कभी गम फिल्म के निर्देशक करन जौहर को फिल्म में राष्ट्रगान के अपमान
मामले के आरोपों से मुक्त करने की याचिका को न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्ञान
प्रकाश तिवारी ने खारिज कर दी। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख
तय करते हुए आरोपी करन जौहर को तलब किया है। साथ ही अन्य आरोपियों के खिलाफ
समन जारी करते हुए इसे मुंबई मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के जरिये तामील
कराने का आदेश दिया है।
करन जौहर को कभी खुशी कभी गम फिल्म में राष्ट्रगान को अधूरा फिल्माना महंगा पड़ा
कोर्ट
ने कहा कि राष्ट्रगान, राष्ट्रध्वज या अन्य प्रतीक देश की सम्प्रभुता के
द्योतक हैं। किसी को भी इन प्रतीकों की अवमानना की अनुमति किसी भी माध्यम
से नहीं दी जा सकती। फिल्में इसके निर्माताओं के विचार की मजबूत अभिव्यक्ति
हैं तथा साहित्य व कला की दृढ़ता से सम्बन्धित हैं। लिहाजा, फिल्मों के
जरिये सम्प्रभुता के प्रतीकों की अवमानना की अनुमति नहीं दी जा सकती।
इससे
पहले कोर्ट में करन जौहर की ओर से आरोपों से मुक्त करने की मांग वाली
अर्जी देकर बताया गया कि आरोपी करन जौहर ने जानबूझकर राष्टगान में व्यवधान
नहीं किया। कहा गया कि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने आरोपी की फिल्म
कभी खुशी कभी गम को सिनेमेटोग्राफी एक्ट के तहत सर्टिफिकेट दिया है।
जौहर
की अर्जी का विरोध करते हुए वादी प्रताप चन्द्रा के वकील ने तर्क दिया कि
फिल्म में राष्टगान के अपमान के आरोपों में कोर्ट ने निर्माता यश जौहर
(मृत) तथा निर्देशक करन जौहर को 17 अप्रैल 2002 को आरोपी बनाकर तलब किया
था। कोर्ट के इस आदेश को जौहर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी लेकिन वहां उनकी
याचिका खारिज हो गई थी। वकील ने बताया कि सिनेमेटोग्राफी एक्ट के प्रावधान
सेंसर बोर्ड या केंद्र सरकार के सम्बन्ध में लागू होते हैं। लिहाजा, आरोपी
को इन प्रावधानों का लाभ नहीं दिया जा सकता।
नहीं मिली करन को राष्ट्रगान अपमान मामले में राहत
अक्तूबर 22, 2014
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