मनीष शुक्ला, दिल्ली.
अभी
भी निवेश के लिए एक आम हिन्दुस्तानी की पहली पसंद सोना ही बना हुआ है।
वहीं, म्युचुअल फंड और शेयर मार्केट पर अभी भी पूरी तरह से भरोसा कायम नहीं
हो पाया है। हालांकि, केंद्र में नई सरकार बनने के बाद रुझान बदला है,
जिसके चलते शेयर बाजार में आई तेजी की वजह से शेयर मार्केट की ओर मुडेÞ
हैं। इसका खुलासा एसोचैम के एक ताजा सर्वे में हुआ है। सर्वे से साफ हुआ है
कि मध्यमवर्गीय परिवारों खासकर महिलाओं में ज्वेलरी और वेतनभोगी
कर्मचारियों के लिए सोना निवेश का सबसे पसंदीदा विकल्प है।
एसौचेम के सर्वे में म्युचुअल फंड और शेयर मार्केट में अभी भी कम भरोसा का पता चला
एसोचैम
के ताजा सर्वे के मुताबिक, सर्वे के दौरान उत्तर देने वाले वाले 1200
लोगों में से 72 फीसदी ने कहा कि उन्होंने निवेश के लिए सोने के विकल्प को
वरीयता दी। इसके बाद शेयर और म्यूचुअल फंडों के विकल्प निवेश के पसंदीदा
विकल्प रहे।
सर्वे
में अहमदाबाद, बंगलूरू, चेन्नईए दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता,
लखनऊ, मुंबई और पुणे में स्थित कॉरपोरेट और सरकारी कर्मचारियों के जवाब को
शामिल किया गया। सर्वे
में शामिल 62 फीसदी से अधिक कॉरपोरेट कर्मचारियों ने निवेश के लिए सोने को
वरीयता दी और इसके बाद शेयर और म्यूचुअल फंडों में निवेश किया गया।
एसोचैम
के महासचिव डीएस रावत ने बताया कि कॉरपोरेट और सरकारी कर्मचारी अब निवेश
के पारंपरिक माध्यमों जैसे पोस्ट आफिसों, फिक्सड डिपॉजिट और पब्लिक
प्रॉविडेंट फंड के बजाए सोने और स्टॉक मार्केट में निवेश पर फोकस कर रहे
हैं। हालांकि करीब 21 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि सुरक्षित रिटर्न की वजह
से वे अब भी निवेश के लिए पारंपरिक विकल्पों को वरीयता देते हैं।
सितंबर में सोने के आयात में 450 फीसदी इजाफा होने
से यह बात स्पष्ट होती है। इसकी वजह से नीति निर्माताओं में चिंता है और
सरकार सोने के आयात पर अंकुश लगाने के लिए कडे प्रावधान लागू करने जा रही
है।