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सीएम के जिले में भ्रष्टाचार करने वाले वन अफसरों को प्रमोशन

रविन्द्र सिंह, भोपाल

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक ओर तो भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने की सार्वजनिक घोषणाएं कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर, मुख्यमंत्री के ही गृह जिले सीहोर में सैकडों एकड़ में जंगल कटवाने और मनरेगा के कामों में करोड़ों का भ्रष्टाचार करवाने के आरोपी वन अफसरों के खिलाफ आरोप प्रमाणित होने के बाद भी एफआईआर करवाने की अनुशंसा को ठंडे बस्ते में ड़ालते हुए पहले तो मलाईदार पोस्टिंग दी गई और अब प्रमोशन दिया जा रहा है। 

सीएम के जिले में मनरेगा में भ्रष्टाचार करने वाले वन अफसरों को प्रमोशन
-सीहोर जिले में जंगलों को कटवाने और मनरेगा के कामों में भ्रष्टाचार साबित

-जांच रिपोर्ट में दोषी साबित होने के बाद भी प्रमोशन से नवाजने की है तैयारी


मनरेगा में मशीनों से काम कराने और लाखों रुपए के बोगस भुगतान की शिकायत की जांच कलेक्टर सीहोर ने करवाई थी। इस जांच प्रतिवेदन दिनांक 4 अगस्त,2011 में साफ है कि, सीहोर के तत्कालीन वन मंडलाधिकारी यूके सुबुद्धि के अलावा बुधनी के वन परिक्षेत्र अधिकारी राजेश शर्मा और लाड़कुई के वन परिक्षेत्र अधिकारी यशोजीत सिंह परमार दोषी हैं। ऐसे में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अनुशंसा की गई थी। यह जांच रिपोर्ट बीते ढाई साल से वन विभाग के आला अफसरों से लेकर वन मंत्री तक की टेबिलों के चक्कर काटकर ठंडे बस्ते में जा चुकी है। दूसरी ओर, रेंजर शर्मा को आष्टा और परमार को देवास जैसी प्राइम पोस्टिंग से नवाजा गया।

अवैध कमाई के लिए तोड़ दिए कायदे-कानून
-बुधनी में फरवरी,2010 में मजदूरी का भुगतान 23 लाख 81 हजार 375 किया गया, जबकि मजदूरों के खाते में सिर्फ 21 लाख 98 हजार 824 रुपए जमा थे। यानि रेंजर के पास 1 लाख 66 हजार 358 रुपए थे।
-मार्च,2010 में 23 लाख 33 हजार 780 रुपए का भुगतान खातों से किया गया, लेकिन वास्तविकता में सिर्फ 19 लाख 66 हजार 861 रुपए का ही किया गया। अंतर राशि 3 लाख 66 हजार 919 रुपए का पता नहीं चला।
-नवीन हार्ड वेयर, बुधनी से कुप्पी, फावड़ा, चूना, गैती एवं सब्बल खरीदने के सिर्फ 9 दिन में दस फर्जी बिल लगाए जाकर उसी दिन 6 लाख 31 हजार रुपए का भुगतान भी कर दिया गया।
-गोविंद अग्रवाल पेंटर होशंगाबाद से एंगल आयरन बोर्ड के 33 बिल बनवाकर प्रत्येक बिल का 3290 रुपए भुगतान किया गया। इनमें से अधिकांश बोर्ड का पता जांच में नहीं चल सका।
-फरवरी एवं मार्च,10 में पशु अवरोधक खंती एवं दीवार आदि का काम 73 श्रमिकों से कराया जाना दर्शाया गया, लेकिन पूरा पेमेंट एक व्यक्ति विशेष को कि गया। वास्तविकता में जॉब वर्क कराया गया।
-फरवरी,10 में 6 लाख 8 हजार का भुगतान एक ही व्यक्ति के नाम से किया गया, लेकिन बाद में दूसरे मजदूरों के नाम दिखाने ओवर राइटिंग की गई।
-गेती, फावड़ा पजवाई के लिए 55 हजार 320 रुपए का भुगतान किया गया, जोकि रेंजर के निजी खाते में जमा पाया गया।
-लाड़कुई में काम करवाने के बदले इटारसी की समितियों के खातों में भुगतान किया गया।
-एक ही दिन समान कार्य करने के बदले मजदूर मुन्ना वल्द टीकाराम का नाम चार अलग-अलग मस्टर में दर्ज मिला।
-सीमेंट पोल 1 लाख 44 हजार में जिससे खरीदना बताकर भुगतान किया, उसी ने बयान दिया कि उसने कुछ बेचा ही नहीं।
-लाड़कुई में घास, बीज आदि 2 लाख 75 हजार 246 रुपए में खरीदे गए, जबकि प्रोजेक्ट रिपोर्ट में बीज खरीदी है ही नहीं। बीज प्रदाय का फर्जी रिकॉर्ड बनाया गया।


डीएफओ यूके सुबुद्धि के खिलाफ जांच रोकी
बुधनी और लाड़कुई में करोडों के फर्जीवाडा के साथ ही जंगलों की कटाई की जांच भी वन विभाग ने करवाई, जिसमें हजारों की तादाद में सागौन एवं अन्य पेड़ों के ठूंठ मिले। खास यही कि, इसी तर्ज पर डीएफओ यूके सुबुद्धि ने सारे जिले में काम करवाया था। इस पर संपूर्ण सीहोर जिले में जांच के साथ ही सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अनुशंसा की गई। सुबुद्धि फिलहाल, मत्स्य महासंघ के प्रबंध संचालक हैं।

सीएम के जिले में मनरेगा में भ्रष्टाचार करने वाले वन अफसरों को प्रमोशन
फरमाते हैं जिम्मेदार
भ्रष्टाचार के आरोपियों को प्रमोशन मिलने की जांच करवाएंगे। किसी भी ऐसे अधिकारी, कर्मचारी को प्रमोशन नहीं मिलेगा, जिस पर आरोप प्रमाणित हों। इसके साथ ही मनरेगा में भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग मामले में दो रेंजर और तत्कालीन डीएफओ की फाइल का वेरीफिकेशन करवाकर सुनिश्चित करवाया जाएगा कि, एफआईआर दर्ज हो।
अनिल ओबेराय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मध्यप्रदेश

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