शमिन्दर सिंह, शाहजहांपुर.
मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव के आने से सात दिन पहले ही जिला अस्पताल की एक नर्स ने
गर्भवती महिला की जान ले ली। उसके द्वारा इंजेक्शन लगाने के 10 मिनट में ही
महिला ने दम तोड़ दिया। इससे पहले उसने पेशाब नली लगाने के लिए भी उससे डेढ़
सौ रुपये लिए थे। महिला की मौत परिजनों ने हंगामा काटा तो नर्स फरार हो
गई।
परिजनों के हंगामा काटने पर नर्स रात में ही हो गई फरार
जिला अस्पताल का भ्रष्टाचार मरीजों की जान पर भारी
मुख्यमंत्री
के आने की जानकारी के बाद जिला अस्पताल में साफ सफाई तो बढ़ गई है, लेकिन
मरीजों से सुविधा शुल्क लेना, बाहर की दवाएं लिखना बंद नहीं हुआ है और न ही
दलालों को अस्पताल से चलता किया गया है। जिला अस्पताल का भ्रष्टाचार
मरीजों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है।
थाना
पुवायां के ग्राम जड़ौली निवासी विजनेश की पत्नी धर्मवती (24) पांच माह की
गर्भवती थी। गुरुवार को उसे झटके आने लगे तो परिजन शाम करीब चार बजे उसे
लेकर जिला अस्पताल पहुंचे और इमर्जेंसी में एडमिट कराया। उसे तीसरी मंजिल
पर भर्ती कराया गया। जहां रात में करीब डेढ़ बजे नर्स ने धर्मवती के चाचा
रविंद्र से कहा कि उसे पेशाब नली लगाई जाएगी। रविंद्र बाहर मेडिकल स्टोर से
200 रुपये में पेशाब नली खरीद लाया तो नर्स ने उसे फटकारते हुए कहा कि तू
ज्यादा नेता बनता है। 200 रुपये मुझे नहीं दे सकता था। जिस पर रविंद्र ने
कहा कि वह इसे मेडिकल स्टोर पर वापस कर देगा। उसने नर्स को 150 रुपये दिए
जिसके बाद में नर्स ने अस्पताल से ही नली लगा दी। इसके कुछ देर बाद नर्स ने
धर्मवती को एक इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगते ही धर्मवती का शरीर एठने
लगा। परिजन नर्स को पुकारते ही रह गए, तब धर्मवती के प्राण छूट गए। धर्मवती
की मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने हंगामा काटा तो नर्स फरार हो गई। इसकी
जानकारी तुरंत सीएमएस डा. एनडी अरोरा को दी गई। धर्मवती बंडा थाना क्षेत्र
के ग्राम पिपरिया घासी निवासी राजेंद्र की बेटी थी। जिला अस्पताल आई उसकी
मां कमला ने बताया कि डेढ़ साल पहले ही उसकी शादी हुई थी।
जिला अस्पताल में इंजेक्शन लगाते ही गर्भवती की मौत
अक्तूबर 10, 2014
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