रेलिक रिपोर्टर, चंडीगढ़.
आदर्श आचार संहिता खत्म होते ही हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने एक बार फिर से सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। चार्जशीट की मार झेल रहे खेमका ने फिर से मुख्य सचिव को पत्र लिखकर उन पर उंगली उठाने वालों को करारा जवाब दिया है। खेमका ने साफ कहा है कि, डीएलएफ और वाड्रा वाड्रा लैंड डील मामले में म्यूटेशन खारिज करने के मामले में खेमका को दी गई चार्जशीट उनको प्रताड़ित करने के लिए है। खेमका ने मुख्य सचिव से कहा है कि उन्हें बेवजह तंग किया जा रहा है। इससे पहले भी खेमका कह चुके हैं, सरकार किसी भी पार्टी की रही हो, मुझे हर बार अपनी ईमानदारी की सजा भुगतनी पड़ी क्योंकि मैं लगातार घपलों और घोटालों का पर्दाफाश करता रहा हूं।
हरियाणा सरकार के लिए परेशानी खड़ी करते खेमका ने लिखा मुख्य सचिव को पत्र
वाड्रा लैंड डील मामले में म्यूटेशन खारिज करने पर प्रताडित करने का लगाया आरोप
खेमका ने कहा है कि वे टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से पिछले 9 माह से लैंड डील के मामले में दस्तावेज दिखाने के लिए कह रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई भी रिकॉर्ड दिखाया नहीं जा रहा। यह स्थिति है, जब इसी विभाग के एक अधिकारी की शिकायत पर उन्हें चार्जशीट जारी की गई है। दस्तावेज देखने के लिए इस साल 16 जनवरी 2014 को कहा जा चुका है। इसके बाद मई और सितंबर में दो बार रिमाइंडर भेजा गया। पत्र में खेमका ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए सिर्फ परेशान करने के लिए दी गई चार्जशीट को तुरंत खारिज करने और संबंधित अधिकारियों पर जुर्माना लगाने की मांग की है। इस पत्र में खेमका ने ऐसे अन्य मामलों की भी जांच करने की भी मांग की है, जिनमें लोगों ने अपने नाम पर सीएलयू और लाइसेंस लेकर गैरकानूनी तरीके से आगे जमीने बेची है। मालूम हो कि वाड्रा लैंड डील के मामले में खेमका ने 15 अक्तूबर को 2015 को म्यूटेशन खारिज किया था।
ईमानदारी के चलते विवादों में रहते हैं खेमका
अशोक खेमका का प्रदेश में कार्यकाल काफी विवादों से भरा रहा। इन 22 सालों में वे 45 तबादले झेल चुके हैं। 12 अक्तूबर 2012 को वह उस समय सबसे अधिक सुर्खियों में छाए जब चकबंदी महानिदेशक पद पर रहते हुए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच जमीन को लेकर हुई डील की म्यूटेशन रद्द कर दी थी। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने इस प्रकरण के बाद खेमका का स्थानांतरण हरियाणा बीज विकास निगम के महानिदेशक पद पर कर दिया। इसके बाद खेमका पर रैक्सिल दवा खरीद मामले में हुई गड़बड़ी को लेकर भी उंगली उठाई गई और यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। उनके मीडिया में जाने पर सरकार ने सवाल खड़े किए। हालांकि खेमका ने भी मीडिया में अपनी बात रखने के लिए सरकार से अनुमति की मांग कर दी।
मुख्यमंत्री तक का आदेश नहीं माना था खेमका ने
अपनी ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी तेवर की वजह से ही अशोक खेमका हरियाणा में काफी लोकप्रिय हैं। साल 2004 में उन्होंने मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला तक का आदेश मानने से इंकार कर दिया था, जब सरकार ने कई शिक्षकों का सत्र के बीच में ही तबादला किया था। उनकी पहली पोस्टिंग सन 1993 में हुई थी। उनके पूरे कार्यकाल में उनकी अधिकतर पोस्टिंग कुछ महीने ही चलीं। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग विभागों में 8 पोस्ट ऐसी संभालीं, जोकि महीने भर या उससे भी कम समय के लिए थीं। संयोग से, उनकी 44 में से 12 पोस्टिंग ऐसे विभागों में हुई जहां उन्हें जमीनी कामकाज में डील करना था। जहां भूमि के अधिग्रहण से लेकर उसके रेकॉर्ड, रेवेन्यू और विकास तक की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। मिनिस्ट्री आॅफ पर्सनल की एग्जेक्युटिव रेकॉर्ड शीट (ईआरएस) में दर्ज जानकारी के मुताबिक, खेमका ने केवल दो ही ऐसी पोस्टिंग संभाली हैं जो एक साल से ज्यादा समय तक रही हों।