रविन्द्र सिंह, भोपाल.
एशियाड में गोल्ड जीतने के साथ ही भारतीय हॉकी के सार्वकालिक स्टार खिलाड़ी भी मानते हैं कि, दो साल बाद होने वाले रियो ओलंपिक में भारतीय तिरंगा फहरा सकता है।
भारतीय टीम की तैयारियों को लेकर क्या सोचते हैं हॉकी के सार्वकालिक
स्टार प्लेयर
मलेशिया-1975 हॉकी वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के स्टार रहे असलम शेर खान ने जहां सेमीफायनल में भारत को अपने हिट से फायनल में पहुंचाया था तो वहीं अशोक ध्यानचंद ने भी फायनल में अपने मैदानी गोल से पाकि स्तान को हराकर वर्ल्ड कप हिन्दुस्तान के नाम किया था। इनका मानना है कि अब हालात बदल चुके हैं और फिर से हॉकी के सुनहरे दिन लौटने के बेहतर चांस हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि, अब हॉकी में पैसा और संसाधन होने से खेल का स्तर सुधरा है। प्रदेश और देश की सरकार का नजरिया भी खेलों के प्रति बदला है, जिसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
दिग्गजों की सलाह है कि, स्टेमिना, स्पीड के लिए यह करें-
-अभी फिटनेस पर और ध्यान देना होगा, खासकर यूरोपियन टीमों के लंबे-लंबे पास और तेज हमलों के मद्देनजर तैयारी करनी होगी।
-मैदानी गोल करने की क्षमता को बढ़ाने के साथ ही पेनाल्टी क्लियरेंस जरुरी। एक भी कॉर्नर की बर्बादी मैच के नतीजे बदल देती है।
-एशियन चैंपियन होने से दबाव बढेÞगा। मनोवैज्ञानिक मजबूती चाहिए होगी। खासकर खेल के आखिरी पलों में हौंसला बरकरार रहे।
बनाए रखना होगा जीत का जज्बा
हमारी टीम जीत की हकदार थी, क्योंकि आखिरी तक जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने का जज्बा ही जीत दिलाता है।
ओलंपिक के लिए टीम को स्टेमिना और स्पीड के साथ ही यूरोपियन टीमों की रणनीति को ध्यान में रखते हुए तैयारी करनी होगी। तेजी से गोल क्लियर करने और लगातार हमले करने होंगे।
अशोक ध्यानचंद, वर्ल्ड कप विजेता-1975
दो साल में बदल सकती है तस्वीर
एशियन चैंपियन बनने के बाद अब हमारी मंजिल दो साल बाद होने वाले रियो ओलंपिक है, जहां हर हाल में टॉप फोर में जगह बनानी होगी। मौजूदा टीम बेहतरीन है, जिसकी फार्म बनाए रखने की जरुरत है। लगातार प्रैक्टिस और विश्व की टाप टीमों की रणनीति को ध्यान को रखते हुए तैयारी करनी होगी।
असलम शेरखान, वर्ल्ड कप विजेता-1975