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अन्ना के लिए चौराहे पर नंगी होने वाली बनेगी हीरोइन

 जमीर सिद्दीकी, मुंबई.

नाम दाम कमाने के साथ ही मुफ्त में मीडिया की सुर्खियां बनने के लिए चौराहे पर नंगी होने वाली मॉडलों की कड़ी में शामिल योगिता दांडेकर को बदनामी के चलते एड्स जैसे विषय पर बनने वाली फिल्म में हीरोइन बनने का मौका मिल ही गया। इस फिल्म को सांगली में असली रेड लाइट एरिया में शूट किया गया है।

अन्ना के लिए चौराहे पर नंगी होने वाली बनेगी हीरोइन चौडे और वैंप जैसे चेहरे वाली योगिता दांडेकर को मिल ही गया हीराइन बनने का मौका

आने वाले शुक्रवार, 31 अक्टूबर को एड्स के विषय पर एक फिल्म रिलीज होने जा रही है। निर्देशक शरद सिंह ठाकुर की इस फिल्म में ज्यादातर नए चेहरे हैं, लेकिन फिल्म की नायिका योगिता दांडेकर मराठी फिल्मों का जाना-पहचाना चेहरा है, जो बात-बात पर चौराहे पर नंगी होने को तैयार रहती है। सबसे पहले योगिता तब सोशल मीडिया में चर्चित हुई थी जब, अन्ना हजारे के आंदोलन को टॉपलेस होकर समर्थन देने का बयान दिया था। योगिता मराठी और गुजराती रंगमंच से जुड़ी रही हैं। 
अन्ना के लिए चौराहे पर नंगी होने वाली बनेगी हीरोइन
हिंदी में निर्देशक मधुर भंडारकर की फिल्म ट्रेफिक सिगनल में वह रणवीर शौरी और कोंकणा सेन शर्मा के साथ नजर आई थीं। मगर उनका मानना है कि जरा संभल के उनकी पहली प्रमुख हिंदी फिल्म है। इससे पहले भी एड्स के विरुद्ध जागरूकता फैलाने का दावा करने वाली मसाला फिल्मे फिर मिलेंगे, माई ब्रदर निखिल और प्यार में कभी कभी जैसी फिल्में मुख्य धारा के कलाकारों को लेकर जरूर बनी हैं, लेकिन पिट गइं। अब योगिता के नंगी होने से उम्मीद की जा रही है कि फिल्म हिट हो जाएगी। 

अन्ना के लिए चौराहे पर नंगी होने वाली बनेगी हीरोइन
रेप और एड्स वाली फिल्मों की भरमार
योगिता मराठी में ‘निर्भया रेप केस’ पर बन रही फिल्म में निर्भया की भूमिका भी निभा रही हैं, जोकि अगले साल जनवरी में रिलीज होगी। योगिता के अनुसार, ‘जरा संभल के’ फिल्म आपदाओं के बाद की परिस्थितियों के बाद की कहानी है। प्राकृतिक मुश्किल के वक्त तो सरकार और एनजीओ आते हैं। मगर उसके बाद में क्या होता है। लोगों पर क्या बीतती है।’
वह बताती हैं कि इस फिल्म का विषय एड्स है। यह 1993 में लातूर में आए भूकंप के बाद की कहानी है। जिसे सांगली में फिल्माया गया है। फिल्म ऐसी गरीब-अनपढ़ युवती की कहानी है, जिसके परिवार का इस भूकंप में कोई नहीं बचता और परिस्थितियों की मार से टूट कर वह वेश्यावृत्ति में उतर जाती है। जबकि उसका एक दस साल का बेटा भी है।’ योगिता की मानें तो एड्स के विषय पर होते हुए भी कहानी के केंद्र में मां-बेटे के भावनात्मक संबंध हैं।

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