केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को कहा कि भारत अरुणाचल प्रदेश में सड़क निर्माण का काम जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि हर देश को अपने क्षेत्र में विकास कार्य करने का अधिकार है और कोई अन्य देश उस पर आपत्ति नहीं उठा सकता।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरे रिजिजू ने कहा, विकास कार्यों की रफ्तार को नहीं लगेगा ब्रेक
भारत के अंदरुनी मामलों और योजनाओं में किसी भी पड़ोसी को एतराज का हक नहीं
रिजिजू मीडिया से मुखातिब थे, उन्होंने कहा कि हमें अपने राज्यों में विकास कार्य करना है। खासतौर पर उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान देना है जो लंबे समय से उपेक्षित रहे हैं। इसी उद्देश्य से हमारी सरकार अरुणाचल प्रदेश में विकास कार्य कर रही है। एक सवाल के जवाब में रिजिजू ने कहा कि अरुणाचल में सड़क निर्माण पर चीन की आपत्ति का जवाब दे दिया गया है। हर किसी और की सीमा में घुसपैठ नहीं कर रहे हैं। हम जो कुछ भी कर रहे है अपनी सीमा क्षेत्र में कर रहे हैं। हम यहां कुछ भी करने को स्वतंत्र हैं। मंत्री ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में भारत की ओर से जो कुछ भी किया जा रहा है वह चीन के लिए किसी भी तरह से नुकसानदेह नहीं है।
भारत की योजना पर रहता है चीन को ऐतराज
इससे पहले अरुणाचल प्रदेश में मैक मोहन लाइन के पास रोड नेटवर्क विकसित करने की भारत की योजना पर चीन ने ऐतराज जताया था। ड्रैगन ने कहा था कि भारत ऐसे कदम न उठाए जिससे सीमा पर तनाव बढ़े। चीन ने इस बात की उम्मीद जताई कि सीमा विवाद को खत्म करने के लिए आखिरी समझौता होने से पहले भारत ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएगा जिससे हालात जटिल हों। इसी मुद्दे पर चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हांग ली ने बुधवार को कहा था कि, ‘फिलहाल हमें इस बाबत और जानकारी का इंतजार है। भारत और चीन के बीच ब्रिटिश शासन काल से ही सीमा को लेकर विवाद है। इस मसले को सही तरीके से निपटाने की जरूरत है।’ ली ने यह प्रतिक्रिया रिजिजू के उस बयान पर दी थी, जिसमें उन्होंने बुनियादी सुविधाओं के विकास में चीन की बराबरी करने के लिए अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के विजय नगर से तवांग के मैगो-थिंगबू तक अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास व्यापक सड़क नेटवर्क विकसित करने की योजना का खुलासा किया था।
भारत की चिंता चीन की ओर से तिब्बत में व्यापक सड़क और रेल नेटवर्क के विकास को लेकर है। इससे वह इस हिमालयी क्षेत्र में सैनिक और अन्य सैन्य साजोसामान की आपूर्ति बड़ी तेजी से कर सकता है। भारी सड़क नेटवर्क के अलावा चीन सिक्किम सीमा तक रेल नेटवर्क बनाने के करीब है। यहीं नहीं उसने अरुणाचल सीमा के पास न्यिगची तक नया रेल नेटवर्क विकसित करने की भी घोषणा की है। इसके अलावा चीन तिब्बत में पांच हवाई अड्डे बना चुका है। चीन का कहना है कि यह कदम तिब्बत के दूर दराज के इलाकों में विकास के लिए है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताता रहा है, जिसके चलते ही दोनों देशों के बीच मैक मोहन लाइन पर विवाद है।
भारत-चीन सीमा विवाद का इसलिए नहीं हो सका हल
भारत का कहना है कि जब चीन औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों की ओर से म्यांमार और अन्य देशों के साथ तय की गई सीमा को मान्यता देता है तो भारत के साथ उसे आपत्ति नहीं होनी चाहिए। चीन सीमा विवाद को महज 2000 किलोमीटर तक सीमित मानाता है और इसे अरुणाचल तक ही सीमित बताता है, जबकि भारत के मुताबिक यह 4000 किलोमीटर है और इसमें पश्चिमी सीमा भी शामिल है। सीमा विवाद को हल करने के लिए दोनों देश अब तक 17 दौर की बातचीत कर चुके हैं।