चौबीस घंटे कार्यपालिक मजिस्ट्रेट रहने के साथ ही सरकार की योजनाओं को कामयाबी से लागू करने की जिम्मेदारी निभाने वाले राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को न तो समय पर पदोन्नति मिल पा रही है और न ही क्रमोन्नति। दूसरी ओर, जांच एजेंसियों के सॉफ्ट टारगेट भी बनते है। इससे खफा राज्य प्रशासनिक सेवा संघ ने तय किया है कि, अब कार्यपालिक मजिस्ट्रेट रहने से तौबा करने के साथ ही लोकायुक्त या दूसरी एजेंसियों की जांच होने पर कानूनी मदद भी मुहैया करवाई जाएगी।
राज्य प्रशासनिक सेवा संघ ने कडे तेवर तेवर अपनाते लिया दो टूक फैसला
पदोन्नति व क्रमोन्नति के लिए प्रशासनिक और न्यायिक लड़ाई की तैयारी
लोकायुक्त या एजेंसियों की जाँचों पर मुहैया करवाई जाएगी न्यायिक मदद
यह फैसले सोमवार को हुई मध्यप्रदेश प्रशासनिक सेवा संघ की बैठक में लिए गए। संघ के अध्यक्ष जीपी माली और महासचिव बसंत कुर्रे के साथ ही इस बैठक में दीपक सक्सेना, अभय अरविंद बेडेकर, अजय श्रीवास्तव, बुद्धेश वैद्य, इच्छित गढ़पाले, हृदेश श्रीवास्तव, चंद्रमोहन मिश्रा, सीएस धुर्वे, राकेश श्रीवास्तव, संजय मिश्रा, कमल नागर, अंजू पवन भदौरिया, शीला दाहिमा, मालती मिश्रा, मल्लिका नागर, संदीप केरकेट्टा सहित प्रदेशभर से आए सौ से ज्यादा राप्रसे के अधिकारी शामिल थे।
संघ की नाराजगी इस बात को लेकर सर्वाधिक थी कि, प्रमोशन और क्रमोन्नति में देरी से राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर अपने ही समकक्ष राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के मुकाबले जूनियर होते जा रहे हैं। हालत यह है कि, राप्रसे के अफसरों का प्रमोशन समकक्ष राज्य पुलिस सेवा के मुकाबले 5 बैच पीछे चल रहा है। हद तो यह है कि, जीएडी के ही नियम हैं कि साल में दो बार डीपीसी होनी चाहिए, लेकिन नहीं होती। दूसरी ओर, प्रशासनिक जिम्मेदारी और कार्यक्षेत्र का विस्तार लगातार होने के बाद भी राप्रसे अफसरों के वैधानिक हक भी नहीं मिल पा रहे हैं। कतिपय कारणों से प्रमोशन में देरी होने से निराशा का भाव है। ऐसे में संघ की मांग है कि , अब प्रमोशन संबंधी एक सुस्पष्ट नीति बनाई जाकर पालन भी किया जाए। अभी तक प्रमोशन के मुद्दे पर संघ ने दो बार मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से भेंट करके अपनी परेशानी से अवगत कराया है। बावजूद, दिए गए आश्वासनों पर अमल नहीं हो सका है।
जांच के नाम पर बंद हो प्रताड़ना
राप्रसे अफसरों की नाराजगी इसको लेकर भी है कि, आधारहीन शिकायतें होने पर भी अंतहीन जांच की आड़ में प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। लोकायुक्त या अन्य जांच एजेंसियों की जांच होने की आड़ में प्रमोशन से लेकर पोस्टिंग तक अटक जाती है। ऐसे में अब संघ ने यह तय किया है कि, अगर किसी राप्रसे अफसर के खिलाफ किसी भी तरह की जांच या कानूनी कार्रवाई होती है तो न्यायिक मदद मुहैया करवाई जाएगी। इसके साथ ही जांच को समय सीमा में समाप्त करने और बेवजह शिकायतों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने पर भी जोर दिया गया।
भविष्य के लिए यह भी तय किया गया
-एसडीएम की पदस्थापना राज्यस्तर से होकर जिलास्तर पर कार्य विभाजन स्पष्ट हो
-कार्य विभाजन आदेशों की नियमित समीक्षा करके विसंगतियों को दूर किया जाना
-एसडीएम के प्रभार में बार बार बदलाव किए जाने पर विरोध दर्ज किया जाएगा
-निलंबन, बर्खास्तगी या आकस्मिक मृत्यु होने पर राप्रसे अफसर को वेतन सुरक्षा
-सामान्य प्रशासन विभाग से व्यक्तिगत मामलों में निराकरण जल्द करवाया जाए